हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन: राव नरेंद्र सिंह बने नए अध्यक्ष

एक साल में तीन महत्वपूर्ण बदलाव
पिछले साल हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद, कांग्रेस ने अपने संगठन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले एक साल में, पार्टी ने तीन महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। पहले, दीपक बाबरिया को प्रदेश प्रभारी के पद से हटाकर बीके हरिप्रसाद को नियुक्त किया गया। इसके बाद, जिला अध्यक्षों की घोषणा की गई और अब उदयभान को हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।
उदयभान की जगह, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री राव नरेंद्र सिंह को नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला, विधायक गीता भुक्कल, अशोक अरोड़ा, अंबाला से सांसद वरुण चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव भी इस पद के लिए संभावित उम्मीदवार थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने राव नरेंद्र पर भरोसा जताया।
भूपेंद्र हुड्डा बने नेता प्रतिपक्ष
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर से विधायक दल का नेता चुना गया है। अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के बाद, कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई थी। 18 अक्टूबर 2024 को चंडीगढ़ में हुई बैठक में, आॅब्जर्वरों ने सभी विधायकों से एक-एक करके बातचीत की थी। तब 37 में से 31 विधायक हुड्डा को नेता बनाने के पक्ष में थे।
हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाने की वजह
कांग्रेस हाईकमान के लिए हुड्डा को साइडलाइन करना आसान नहीं था, क्योंकि अधिकांश विधायक उनके समर्थन में थे। यदि किसी अन्य विधायक को नेता बनाया जाता, तो इससे पार्टी में फूट पड़ सकती थी। चुनाव के बाद हुई समीक्षा में भी यह स्पष्ट हुआ कि कई सीनियर विधायक हुड्डा के पक्ष में थे। जाट समुदाय का कांग्रेस में बड़ा वोट बैंक है, और पार्टी जानती है कि इस समुदाय को नाराज कर वह हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएगी।
राव नरेंद्र की अध्यक्षता की वजह
अक्टूबर 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ओबीसी चेहरे पर दांव लगाते हुए नायब सैनी को कमान सौंपी थी। कांग्रेस राव नरेंद्र के माध्यम से बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को भी साधने की कोशिश कर रही है। राव इंद्रजीत के 2014 में भाजपा में जाने के बाद से कांग्रेस अहीरवाल में लगातार चुनाव हार रही है।
53 साल बाद, कांग्रेस ने अहीरवाल के किसी नेता को प्रदेश की कमान सौंपी है। राव नरेंद्र के नाम पर सहमति बनने का एक कारण यह भी है कि वे कभी किसी गुट से नहीं जुड़े रहे। कांग्रेस हाईकमान ने यह संदेश दिया है कि अध्यक्ष चुनने में गुटबाजी को दरकिनार किया गया है।