हरियाणा के किसान ने मशरूम उत्पादन से बदली अपनी किस्मत

योगेंद्र यादव की प्रेरणादायक कहानी
हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के खायरा गांव के निवासी योगेंद्र यादव ने यह सिद्ध कर दिया है कि कठिनाइयों को अवसरों में बदला जा सकता है। जल संकट के चलते पारंपरिक खेती को छोड़ना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसी संकट से मशरूम उत्पादन का नया रास्ता अपनाया। चार वर्षों में, वे न केवल एक सफल उद्यमी किसान बने, बल्कि सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं।
कठिनाइयों का सामना
योगेंद्र यादव का सफर आसान नहीं रहा। 2005 में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने कई बार सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। इसके बाद, उन्होंने गुरुग्राम में टैक्सी चलाने का काम किया। कुछ वर्षों बाद, वे अपने गांव लौटकर तीन एकड़ जमीन पर खेती करने लगे।
नए विकल्पों की तलाश
2022 में, जब भूजल स्तर गिरने के कारण उनके खेत का बोरवेल बंद हो गया, तो उन्हें खेती के नए विकल्पों की तलाश करनी पड़ी। यही वह समय था जब उन्होंने मशरूम की खेती करने का निर्णय लिया।
प्रशिक्षण और सफलता
योगेंद्र ने कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़, मशरूम सेंटर मुरथल और गुरुग्राम से प्रशिक्षण प्राप्त किया और मशरूम उत्पादन की शुरुआत की। पहले वर्ष में, उन्होंने 20 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर ढाई लाख रुपये की आय अर्जित की।
उत्पादन में वृद्धि
2023 में, उनका उत्पादन बढ़कर 200 क्विंटल हो गया और आय 15 लाख रुपये तक पहुंच गई। 2024 में, खाद यूनिट लगाने के बाद, उत्पादन 900 क्विंटल और आय 25 लाख रुपये हो गई। इसके बाद, उन्होंने दो नई आधुनिक यूनिटें स्थापित कीं, जिससे उत्पादन 1100 क्विंटल और आय 55 लाख रुपये वार्षिक हो गई। अब वे हर सप्ताह दिल्ली, गुरुग्राम और रेवाड़ी में ताज़ा मशरूम की सप्लाई कर रहे हैं।