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हरियाणा में कुरैशी समाज को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का प्रस्ताव

हरियाणा विधानसभा में कुरैशी समाज को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया गया है। यह निर्णय सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कांग्रेस विधायक मामन खान ने इस मुद्दे को उठाया, जिसके बाद सरकार ने इसे आयोग के पास विचार के लिए भेजा। यदि मंजूरी मिलती है, तो कुरैशी समाज को आरक्षण और सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता मिलेगी। जानें इस प्रस्ताव के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
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हरियाणा में कुरैशी समाज को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का प्रस्ताव

हरियाणा विधानसभा में सामाजिक न्याय का मुद्दा

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सामाजिक न्याय से संबंधित एक महत्वपूर्ण विषय सामने आया है। राज्य की नायब सैनी सरकार ने कुरैशी समाज को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि, यह निर्णय अभी लागू नहीं हुआ है और इसे हरियाणा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास विचार के लिए भेजा गया है। आयोग की मंजूरी के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।


विधानसभा में मामला कैसे उठा

फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खान ने विधानसभा में कुरैशी समाज की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह समुदाय लंबे समय से पिछड़ेपन का सामना कर रहा है और इसे अन्य पिछड़ा वर्ग के समान लाभ मिलना चाहिए।


इस पर सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने बताया कि सरकार इस मांग पर सकारात्मक रूप से विचार कर रही है, इसलिए प्रस्ताव आयोग को भेजा गया है।


सरकार का दृष्टिकोण और सामाजिक आधार

मंत्री बेदी के अनुसार, कुरैशी समाज मुस्लिम अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित है और सामाजिक तथा आर्थिक संकेतकों के आधार पर इसे पिछड़े वर्ग में शामिल करने का आधार है। राज्य सरकार का उद्देश्य उन लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना है जो वास्तव में जरूरतमंद हैं।


नीति विशेषज्ञों का मानना है कि पिछड़ा वर्ग आयोग की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वही आंकड़ों और सामाजिक अध्ययन के आधार पर अंतिम सिफारिश करेगा।


पिछड़ा वर्ग का दर्जा मिलने से संभावित बदलाव

यदि आयोग से मंजूरी मिलती है, तो कुरैशी समाज को आरक्षण का लाभ, शिक्षा और रोजगार से जुड़ी सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता, और स्वरोजगार तथा छात्रवृत्ति योजनाओं तक बेहतर पहुंच मिलेगी। इससे समुदाय की आर्थिक स्थिति और सामाजिक भागीदारी में सुधार की उम्मीद की जा रही है।


ऐसे फैसले पहले भी हो चुके हैं

हरियाणा में इससे पहले भी कुछ जातियों और समुदायों को सामाजिक सर्वे के आधार पर पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है। आयोग की सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार कर लागू किया है, इसलिए कुरैशी समाज से जुड़ा यह प्रस्ताव भी उसी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है।


आगे की प्रक्रिया

अब यह मामला हरियाणा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास जाएगा, जो सामाजिक आर्थिक आंकड़ों की समीक्षा करेगा। रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, जिसके बाद ही सरकार अधिसूचना जारी कर सकती है।


महत्वपूर्णता का विश्लेषण

विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय की अवधारणा को मजबूत करता है, अल्पसंख्यक समुदायों के भीतर आर्थिक असमानता को स्वीकार करता है, और सरकारी नीतियों को अधिक समावेशी बनाने की दिशा में एक कदम है।