हरियाणा में गर्भवती महिलाओं को नोटिस: स्वास्थ्य विभाग की सख्ती

गर्भवती महिलाओं को नोटिस जारी
हरियाणा में गर्भवती महिलाओं को नोटिस जारी करने की खबर ने स्वास्थ्य विभाग में हलचल मचा दी है।
स्वास्थ्य विभाग ने 1700 गर्भवती महिलाओं को शोकाज नोटिस भेजा है, क्योंकि उन्होंने गर्भधारण के 10 सप्ताह बाद भी अपना पंजीकरण नहीं कराया। यह कदम उन जिलों में विशेष निगरानी का हिस्सा है, जहां लिंगानुपात कम है। आइए, इस मामले की पृष्ठभूमि और कार्रवाई को विस्तार से समझते हैं।
पंजीकरण में देरी का कारण
हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने करनाल, गुरुग्राम, रेवाड़ी, चरखी दादरी, रोहतक, पानीपत, और महेंद्रगढ़ जैसे कम लिंगानुपात वाले जिलों में 1700 गर्भवती महिलाओं को नोटिस जारी किया है।
इन महिलाओं ने गर्भावस्था के 10 सप्ताह बाद भी एएनएम कार्यकर्ताओं के पास अपना नाम दर्ज नहीं कराया। विशेष रूप से करनाल में 200 महिलाओं को नोटिस भेजा गया है।
स्वास्थ्य विभाग की चिंता
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि समय पर पंजीकरण न होने से मातृ-शिशु स्वास्थ्य की निगरानी में कठिनाई होती है। इन महिलाओं को सिविल सर्जन कार्यालय में वैध स्पष्टीकरण देना होगा। यदि वे जवाब नहीं देती हैं, तो प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम लिंगानुपात सुधारने और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है।
एएनएम कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी
स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ संबंधित एएनएम कार्यकर्ताओं को भी नोटिस जारी किया है। इन कार्यकर्ताओं पर पंजीकरण सुनिश्चित करने में लापरवाही का आरोप है। विभाग का मानना है कि एएनएम की जिम्मेदारी है कि वे गर्भवती महिलाओं को समय पर पंजीकृत करें।
मातृ-शिशु स्वास्थ्य के लिए आवश्यक कदम
यह नोटिस मातृ-शिशु स्वास्थ्य को सुरक्षित करने और लिंगानुपात में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। समय पर पंजीकरण से गर्भवती महिलाओं को आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं और देखभाल मिलती है। यह कदम सरकार की उन योजनाओं का हिस्सा है, जो गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे नोटिस का समय पर जवाब दें। साथ ही, समाज को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग की यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाएगी, बल्कि सामाजिक जागरूकता को भी बढ़ाएगी।