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हरियाणा में नगर निगमों को मिले नए अधिकार, विकास कार्यों में तेजी

हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने नगर निगम आयुक्तों को 1 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों को मंजूरी देने का अधिकार दिया है। यह निर्णय शहरी विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे स्थानीय प्रशासनिक प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी होंगी। नए नियमों के तहत, छोटे और मध्यम स्तर के विकास कार्यों को अब आयुक्त स्वतंत्र रूप से मंजूरी दे सकेंगे। इससे हरियाणा के शहरों में बुनियादी सुविधाओं के विकास में तेजी आएगी, और नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
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हरियाणा में नगर निगमों को मिले नए अधिकार, विकास कार्यों में तेजी

नगर निगम आयुक्तों को मिले नए अधिकार

नगर निगम आयुक्त: हरियाणा में नगर निगमों को मिले नए अधिकार: आयुक्त अब 1 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों को मंजूरी दे सकेंगे: हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने शहरी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब नगर निगम आयुक्तों को 1 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों को स्वीकृति देने का अधिकार दिया गया है, जो पहले 50 लाख रुपये तक सीमित था।


इस निर्णय से प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को तेजी से लागू करने में सहायता मिलेगी, जिससे स्थानीय प्रशासनिक प्रक्रियाएं और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनेंगी। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने इस नई नीति की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसने नगर निगमों को नई शक्ति प्रदान की है।


शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त और सचिव विकास गुप्ता ने दो साल पुरानी नीति में संशोधन करते हुए इस नई व्यवस्था को लागू किया। इस बदलाव के तहत, नगर निगम आयुक्त अब छोटे और मध्यम स्तर के विकास कार्यों को स्वतंत्र रूप से मंजूरी दे सकेंगे। हालांकि, तकनीकी शाखा के अधिकारों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं किया गया है।


1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट्स के लिए प्रशासनिक स्वीकृति नगर निगम की वित्त कमेटी के पास रहेगी, जबकि 10 करोड़ से 25 करोड़ रुपये तक के कार्यों के लिए विभागीय मंत्री और मुख्य अभियंता को जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, 25 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए मुख्यमंत्री और मुख्य अभियंता की मंजूरी आवश्यक होगी।


यह कदम हरियाणा सरकार की उस सोच को दर्शाता है, जो स्थानीय निकायों को सशक्त बनाकर शहरी विकास को बढ़ावा देना चाहती है। इससे पहले, 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी सत्ता के विकेंद्रीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए मेयरों को जूनियर इंजीनियर्स (जेई) सहित ग्रुप C और D के लापरवाह कर्मचारियों को निलंबित करने का अधिकार दिया था।


इसके अलावा, मेयरों के लिए विकास कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति की सीमा को 2.5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया गया था। नायब सैनी सरकार का यह नया निर्णय उसी दिशा में एक और कदम है, जो शहरी क्षेत्रों में विकास की गति को और तेज करेगा।


यह नीति न केवल नगर निगमों की कार्यक्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को लागू करने में देरी को भी कम करेगी। इससे हरियाणा के शहरों में सड़क, जल निकासी, पार्क, और अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास में तेजी आएगी। नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि यह उनके शहरों को और बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।