हरियाणा में बिजली दरों पर राजनीतिक विवाद: अनिल विज का बयान

हरियाणा में बिजली दरों की बढ़ोतरी पर राजनीतिक हलचल
हरियाणा में बिजली की दरों में वृद्धि को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। विपक्षी दल सरकार पर हमले कर रहे हैं और कुछ संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में, ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने आरोप लगाया है कि विपक्ष जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भाजपा सरकार ने कभी भी बिजली की दरें नहीं बढ़ाई।
अनिल विज का स्पष्टीकरण
अनिल विज ने स्पष्ट किया कि पिछले दस वर्षों में बिजली की कीमतें नहीं बढ़ी हैं, जबकि इस दौरान बिजली उत्पादन की लागत में लगातार वृद्धि हुई है। हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग ने दरों में मामूली वृद्धि की है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कभी मुफ्त बिजली देने का वादा नहीं किया और विपक्ष इस मुद्दे पर लोगों को भ्रमित कर रहा है।
विपक्ष के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया
विपक्ष के प्रदर्शनों पर अनिल विज ने कहा कि वे भाड़े के लोगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने बताया कि 2014-15 की तुलना में 2 किलोवाट तक बिजली उपयोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के मासिक बिल में 49 से 75 प्रतिशत तक की कमी आई है।
ट्विटर पर अनिल विज का बयान
#WATCH | Chandigarh | Haryana Minister Anil Vij says, “We never said that we will provide free electricity. It is the opposition party that is lying. The electricity bills have increased after 10 years in the state…There has been no increase in connections up to two… pic.twitter.com/CZiRn8Z4Mn
— ANI (@ANI) June 30, 2025
बिजली उपभोक्ताओं के लिए दरें
अनिल विज ने प्रेस वार्ता में बताया कि श्रेणी-1 और श्रेणी-2 में लगभग 94 प्रतिशत बिजली उपभोक्ता आते हैं, जिनमें से अधिकांश के मासिक बिल में कमी आई है। हरियाणा में घरेलू श्रेणी के लिए निश्चित शुल्क 0 रुपये से 75 रुपये/किलोवाट तक और उच्चतम ऊर्जा स्लैब 7.50 रुपये/यूनिट पर बनाए रखा गया है। पड़ोसी राज्यों में निश्चित शुल्क 110 रुपये/किलोवाट तक और ऊर्जा शुल्क 8 रुपये/यूनिट तक है।
कांग्रेस नेता का आरोप
वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता संपत सिंह ने HERC द्वारा जारी टैरिफ आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि यूटिलिटीज 3.12 रुपये प्रति यूनिट की लागत से 7,964.28 करोड़ यूनिट बिजली खरीद रही हैं, फिर भी उपभोक्ताओं को औसतन 7.29 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेची जा रही है। खरीदी गई कुल बिजली में से केवल 6,916 करोड़ यूनिट ही उपभोक्ताओं तक पहुंच रही है, जिसका मतलब है कि ट्रांसमिशन और वितरण घाटा 22 प्रतिशत से अधिक है।