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हरियाणा में मशरूम खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी में वृद्धि

हरियाणा सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें मशरूम उत्पादन और कंपोस्ट यूनिट के लिए सब्सिडी को 12 लाख रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ा दिया गया है। यह कदम पारंपरिक खेती की चुनौतियों के बीच किसानों को वैकल्पिक खेती की ओर प्रेरित करेगा। जानें इस योजना के लाभ, आवेदन प्रक्रिया और भविष्य की योजनाओं के बारे में।
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हरियाणा में मशरूम खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी में वृद्धि

हरियाणा सरकार का नया निर्णय

हरियाणा सरकार ने किसानों की आय में सुधार और कृषि को अधिक लाभकारी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य में मशरूम उत्पादन और कंपोस्ट यूनिट स्थापित करने वाले किसानों को अब पहले से अधिक वित्तीय सहायता मिलेगी। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इन दोनों यूनिटों पर दी जाने वाली सब्सिडी को बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है।


सरकार का निर्णय

हरियाणा सरकार की बागवानी प्रोत्साहन नीति के तहत मशरूम खेती को प्राथमिकता दी जा रही है। इस नीति के विस्तार के रूप में सब्सिडी की सीमा में सीधी बढ़ोतरी की गई है।


मुख्य बिंदु

  • पहले सब्सिडी की सीमा 8 लाख रुपये प्रति यूनिट थी।
  • अब इसे बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति यूनिट किया गया है।
  • यह वित्तीय वर्ष 2025-26 से लागू होगा।
  • यह योजना मशरूम उत्पादन और कंपोस्ट यूनिट दोनों के लिए है।


अधिकारियों की राय

जिला बागवानी अधिकारी नेहा यादव का कहना है कि यह निर्णय किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होगा। उन्होंने बताया कि मशरूम खेती से जुड़े किसान अब बेहतर तकनीक और बुनियादी ढांचे में निवेश कर सकेंगे, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार होगा।


उनका मानना है कि इस निर्णय से अधिक किसान पारंपरिक फसलों से हटकर बागवानी और वैकल्पिक खेती की ओर अग्रसर होंगे।


आवेदन प्रक्रिया और पात्रता

इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल रखी गई है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।


  • आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा।
  • पात्र किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर लाभ मिलेगा।
  • सीमित बजट के कारण समय पर आवेदन करना आवश्यक है।


मशरूम खेती के लाभ

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, मशरूम खेती आज के समय में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कृषि व्यवसायों में से एक है।


  • कम जमीन में उत्पादन संभव है।
  • पारंपरिक खेती की तुलना में कम लागत आती है।
  • साल भर स्थिर मांग बनी रहती है।
  • शहरी बाजारों और होटलों में अच्छी कीमत मिलती है।
  • पोषण के कारण उपभोक्ताओं में बढ़ती लोकप्रियता है।


एक अनुमान के अनुसार, सही तकनीक अपनाने पर किसान एक यूनिट से सालाना कई लाख रुपये तक की आय कर सकते हैं।


किसानों के लिए इसका महत्व

यह निर्णय केवल सब्सिडी बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि राज्य सरकार खेती को आधुनिक और बाजार आधारित बनाने पर जोर दे रही है। बढ़ती लागत, मौसम के जोखिम और बाजार की अस्थिरता के बीच, मशरूम जैसी खेती किसानों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन सकती है।


भविष्य की योजनाएं

सरकार भविष्य में बागवानी और ऑर्गेनिक खेती से संबंधित और योजनाएं लाने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही, किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन और बाजार से जोड़ने पर भी काम किया जा रहा है।