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हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उप मुख्य सचेतक पद को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केवल सिंह पठानिया के उप मुख्य सचेतक पद की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि ये पद केवल राजनीतिक लाभ के लिए बनाए गए हैं, जो राज्य के वित्तीय संकट को और बढ़ाते हैं। इस मामले की सुनवाई आगे होगी, जिसमें अदालत राज्य सरकार से औपचारिक प्रतिक्रिया मांगेगी।
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हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उप मुख्य सचेतक पद को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

उच्च न्यायालय का नोटिस

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केवल सिंह पठानिया, जो वर्तमान में उप मुख्य सचेतक के पद पर हैं, के खिलाफ एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह याचिका इस पद की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती है। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया।


याचिका का विवरण

वकील रजनीश मानिकतला द्वारा 2019 में दायर की गई रिट याचिका में कहा गया है कि मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक के पद केवल राजनीतिक पदाधिकारियों के लिए बनाए गए हैं, जो संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क किया कि इन पदों के लिए राज्य द्वारा लाए गए कानून संविधान के खिलाफ हैं और यह राजकोष पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं।


राज्य का वित्तीय संकट

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2018 में कानून बनने के समय राज्य पहले से ही 41,000 करोड़ रुपये के कर्ज में था, जो अब 90,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसमें कहा गया है कि चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो, ऐसे पद राजनीतिक संतुलन बनाए रखने और करदाताओं के खर्च पर वफादारों को भत्ते प्रदान करने के लिए बनाए जाते हैं।


भाजपा सरकार का कानून

जय राम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने 2018 में विधानसभा में मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक के पदों को सृजित करने के लिए कानून पेश किया था, जिसमें कैबिनेट रैंक के विशेषाधिकारों का प्रावधान था। इस कानून के तहत की गई नियुक्तियों को अधिवक्ता मानिकतला ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।


कांग्रेस सरकार की स्थिति

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद यह प्रथा जारी रही, जिसमें केवल सिंह पठानिया को उप मुख्य सचेतक के पद पर नियुक्त किया गया। उनकी नियुक्ति अभी भी प्रभावी है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष उच्च न्यायालय ने छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक घोषित किया था।


कानूनी बहस का पुनरुद्धार

पठानिया को जारी किया गया वर्तमान नोटिस कानूनी बहस को फिर से जीवित करता है कि क्या मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक जैसी राजनीतिक नियुक्तियां – कैबिनेट मंत्रियों की स्थिति और लाभ का आनंद लेना संवैधानिक मानदंडों के अनुरूप हैं या केवल राजनीतिक वफादारी को पुरस्कृत करने का एक साधन हैं। इस मामले की आगे सुनवाई आने वाले हफ्तों में होगी, क्योंकि अदालत राज्य सरकार और प्रतिवादी से औपचारिक प्रतिक्रिया मांगेगी।