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जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी: रहस्य और मान्यता जो आपको चौंका देगी

उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर, भगवान श्री कृष्ण को समर्पित, एक रहस्यमय स्थल है। इस मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर रखना मना है, और इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा है। यमराज की सलाह के अनुसार, इस सीढ़ी पर पैर रखने से श्रद्धालुओं के पुण्य नष्ट हो जाते हैं। जानें इस मंदिर के अन्य रहस्यमय तथ्यों के बारे में, जैसे कि मंदिर की छाया का ना होना और पक्षियों का ना उड़ना।
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जगन्नाथ मंदिर का रहस्यमय महत्व

उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर, भगवान श्री कृष्ण को समर्पित, भारत के सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमय धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़े कई रहस्यों और चमत्कारों ने इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना दिया है। इनमें से एक रहस्य है इस मंदिर की तीसरी सीढ़ी, जिस पर पैर रखना सख्त मना है। इस सीढ़ी से जुड़ी पौराणिक कथा और इसके पीछे की रहस्यमयी वजह आज भी लोगों में जिज्ञासा पैदा करती है।


तीसरी सीढ़ी और यमराज की कथा

जगन्नाथ मंदिर के पौराणिक महत्व को समझने के लिए एक दिलचस्प कथा है। कहा जाता है कि एक बार यमराज भगवान जगन्नाथ के पास आए और बोले कि आपने दर्शन के माध्यम से पापों से मुक्ति का इतना सरल तरीका बताया है। यमराज की बात सुनकर भगवान श्री जगन्नाथ ने उन्हें सलाह दी कि वे मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करें, जिसे यम शिला कहा जाएगा। भगवान ने कहा कि जो भी मेरे दर्शन के बाद उस पर पैर रखेगा, उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाएंगे और उसे यमलोक जाना पड़ेगा।


तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से बचें

जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते समय श्रद्धालुओं को सीढ़ियों पर पैर रखना होता है, लेकिन लौटते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से बचना चाहिए। यह सीढ़ी अन्य सीढ़ियों से भिन्न है और इसका रंग काला है। मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धालु इस सीढ़ी पर पैर रखता है, तो उसकी सभी पूजा-पाठ और पुण्य समाप्त हो जाते हैं। मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन इस तीसरी सीढ़ी का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका संबंध सीधे पुण्य और पाप से है।


जगन्नाथ मंदिर के अन्य रहस्यमय तथ्य

जगन्नाथ मंदिर केवल तीसरी सीढ़ी के कारण ही रहस्यमय नहीं है, बल्कि इसके साथ और भी कई रहस्यों का संबंध है:


  • पक्षियों का ना उड़ना: इस मंदिर के ऊपर से कभी कोई पक्षी नहीं उड़ता।
  • मंदिर की छाया का ना होना: जगन्नाथ मंदिर की छाया कभी नहीं दिखती, चाहे सूरज की रौशनी कितनी भी तेज क्यों ना हो।
  • विपरीत दिशा में लहराता झंडा: मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा विपरीत दिशा में लहराता है।
  • समुद्र की लहरों की आवाज का ना सुनाई देना: मंदिर के भीतर प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देती।