15 अगस्त 2025: ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण दिन और शुभ मुहूर्त

15 अगस्त 2025 का पंचांग और विशेषताएँ
क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त 2025 का दिन आपके लिए क्या खास लेकर आया है? यह स्वतंत्रता दिवस न केवल एक राष्ट्रीय उत्सव है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन का पंचांग, शुभ मुहूर्त और ग्रहों की स्थिति आपके कार्यों को सफल बनाने में सहायक हो सकती है। आइए, जानते हैं कि 15 अगस्त 2025 का दिन आपके लिए कैसा रहेगा, क्या हैं शुभ योग और किन समयों पर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।15 अगस्त 2025: पंचांग का संपूर्ण विवरण
यह दिन शुक्रवार है, 15 अगस्त 2025, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है, जो रात 11:49 बजे तक रहेगी, इसके बाद अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी। आज का नक्षत्र अश्विनी है, जो सुबह 7:36 बजे तक रहेगा, इसके बाद भरणी नक्षत्र का प्रभाव शुरू होगा। चंद्रमा आज मेष राशि में है, जिसका स्वामी मंगल है, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है। सूर्य कर्क राशि में स्थित है।
शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक। यह समय किसी नए और महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:37 बजे से 3:30 बजे तक। यह मुहूर्त विशेष कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए फलदायी है।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:25 बजे से 7:45 बजे तक। यह संध्या काल का वह समय है जब गायें चरकर लौटती हैं, जो पूजा-पाठ के लिए विशेष माना जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:24 से 5:07 तक, यह आध्यात्मिक कार्यों और ध्यान के लिए सबसे उत्तम समय है।
रवि योग: सुबह 5:31 से 7:36 तक। इस योग में किया गया कार्य सूर्य की तरह तेजस्वी और सफल होता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 5:31 से 7:36 तक। यह योग सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
अशुभ समय और सावधानियाँ
राहुकाल: सुबह 10:46:33 से 12:25:26 तक। इस अवधि में कोई नया और महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए।
गुलिक काल: सुबह 7:28:47 से 9:07:40 तक। यह समय भी शुभ कार्यों के लिए टाला जाता है।
यमगण्ड: दोपहर 5:15:29 से 6:08:13 तक। इस अवधि में भी महत्वपूर्ण कार्य न करें।
दिशा शूल: पश्चिम दिशा। यदि यात्रा आवश्यक हो, तो यात्रा पर निकलने से पहले थोड़ा दही खाकर और भगवान का स्मरण करना शुभ रहेगा।
विशेष पर्व और धार्मिक महत्व
15 अगस्त 2025 का दिन शीतला सप्तमी के रूप में भी मनाया जा सकता है। साथ ही, शुक्रवार होने के कारण मां लक्ष्मी की पूजा के लिए यह दिन अत्यंत शुभ फलदायी है।