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सभ्यता शरीर है तो संस्कृति उसकी आत्मा: रमेश मणि पाठक

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सभ्यता शरीर है तो संस्कृति उसकी आत्मा: रमेश मणि पाठक
सभ्यता शरीर है तो संस्कृति उसकी आत्मा: रमेश मणि पाठक




भागलपुर, 11 जून (हि.स.)। भारती शिक्षा समिति एवं शिशु शिक्षा प्रबंध समिति के तत्वाधान में सैनिक स्कूल गणपत राय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर नरगाकोठी में चल रहे नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के दसवें दिन मंगलवार का प्रारंभ पटना विभाग के निरीक्षक रमेश मणि पाठक एवं प्रवासी कार्यकर्ता गंगा चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।

मौके पर रमेश मणि पाठक ने कहा कि संस्कृति व्यक्ति के मन और आत्मा की आवश्यकता को पूर्ण करती है। सभ्यता शरीर है तो संस्कृति उसकी आत्मा है। संस्कृति के अंतर्गत जीवन आदर्श, परंपराएं, दर्शन, भक्ति, आस्था, दया, सेवा, एकता, आदर, कला, संगीत आदि आते हैं। हम सभी को अपनी इस नित नूतन चिरपुरातन भारतीय संस्कृति को जानना चाहिए उसको अपने व्यवहार में उतरना चाहिए।

रामचंद्र आर्य ने कहा कि विद्या भारती के चार आयाम संस्कृत बोध परियोजना, पूर्व छात्र परिषद, विद्वत परिषद एवं शोध है। लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए विद्या भारती द्वारा स्थापित आयामों की अनुपालन एवं मूल्यांकन आवश्यक है। विद्या भारती का कार्य कई वर्षों से चलने के कारण अपने विद्यालय में पढ़े हुए छात्र बड़ी संख्या में समाज में प्रतिष्ठित हो चुके हैं। इस अवसर पर उमाशंकर पोद्दार, राकेश नारायण अम्बष्ट, सतीश कुमार सिंह, राजेश कुमार, परमेश्वर कुमार, वीरेंद्र कुमार, संजीव पाठक, जयंत मिश्र, शशि भूषण मिश्र, आलोक कुमार, चंद्रशेखर कुमार एवं प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

/चंदा