तेजस्वी यादव की यूरोप यात्रा: बिहार की राजनीति में हलचल
तेजस्वी यादव की निजी यात्रा
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की हार के तीन सप्ताह बाद, राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता तेजस्वी प्रसाद यादव अपनी पत्नी राजश्री यादव और दो बच्चों कात्यायनी व इराज के साथ यूरोप के लिए रवाना हो गए हैं। यह यात्रा क्रिसमस और नए साल के अवसर पर की गई है, लेकिन उनकी विधानसभा सत्र में अनुपस्थिति ने बिहार की राजनीति में हंगामा खड़ा कर दिया है।
विपक्षी दलों ने इसे जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया है, जबकि आरजेडी कार्यकर्ता इसे 'सामान्य पारिवारिक समय' मानते हैं। बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हुआ था। तेजस्वी, जो हार के बावजूद विपक्ष के नेता बने हैं, सत्र के पहले और दूसरे दिन सदन में उपस्थित रहे।
विधानसभा से अनुपस्थिति
उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन 2 दिसंबर की शाम को वे दिल्ली की ओर बढ़ गए। 3 दिसंबर को राज्यपाल के संयुक्त अधिवेशन में उनकी अनुपस्थिति रही। 4 दिसंबर को धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी वे नहीं आए।
आरजेडी के सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी की यह यात्रा पहले से निर्धारित थी और पार्टी की आंतरिक समीक्षा बैठकों से इसका कोई संबंध नहीं है। पार्टी में हार की समीक्षा चल रही है, जिसमें स्थानीय स्तर पर सुधार पर जोर दिया जा रहा है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि तेजस्वी जल्द ही लौटकर 2026 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएंगे।
तेजस्वी यादव का चुनावी सपना
14 नवंबर को आए चुनाव परिणामों ने तेजस्वी के सपनों को चकनाचूर कर दिया। महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वाम दल) को केवल 35 सीटें मिलीं, जिसमें आरजेडी को महज 25 सीटें प्राप्त हुईं, जो कि पार्टी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। तेजस्वी ने चुनाव प्रचार के दौरान खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते हुए 18 नवंबर को शपथ लेने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन परिणाम विपरीत आए। राघोपुर सीट से वे खुद जीते, लेकिन गठबंधन को मुस्लिम-यादव वोट बैंक के अलावा अन्य वर्गों से समर्थन नहीं मिला।
