प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव में NDA और BJP पर उठाए सवाल

बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर का बयान
बिहार चुनाव: जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मंगलवार को NDA और BJP पर आरोप लगाया कि वे उम्मीदवारों को डराने-धमकाने और चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह टिप्पणी किशोर ने तब की जब जन सुराज के तीन उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया, जो कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हुआ।
किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी जेएसपी एनडीए के दबाव में नहीं आएगी। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान उनके उम्मीदवारों के साथ क्यों देखे गए और किन परिस्थितियों में नाम वापस लिया गया। उन्होंने कहा कि पहले यह माना जाता था कि चुनाव कोई भी जीते, भाजपा सरकार बनाएगी। विधायकों की खरीद-फरोख्त की घटनाएं किसी से छिपी नहीं हैं।
भाजपा नेतृत्व पर आरोप
‘साफ छवि वाले जन सुराज के उम्मीदवारों को बंधक बनाने में लगा है BJP नेतृत्व’
किशोर ने कहा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन जेएसपी उम्मीदवारों को बंधक बनाने में लगा है, जिनकी छवि साफ है। उन्होंने सवाल उठाया कि एक गैर-राजनीतिक व्यक्ति क्या कर सकता है जब उसे गृह मंत्री का सामना करना पड़े और उस पर दबाव डाला जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि जेएसपी की समस्या यह है कि वह जनता के समर्थन वाले और स्वच्छ उम्मीदवारों के साथ यथास्थिति पर सवाल उठा रही है। एनडीए और इंडिया ब्लॉक एक-दूसरे से नहीं डरते, लेकिन उन्हें जेएसपी से डर लगता है क्योंकि उनके पास स्वच्छ और अच्छे उम्मीदवार हैं।
चुनाव आयोग से अपील
ECI से की इस खतरनाक प्रवृत्ति पर रोक लगाने की अपील
किशोर ने भारत के चुनाव आयोग से इस खतरनाक प्रवृत्ति को रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर उम्मीदवार सुरक्षित नहीं हैं, तो मतदाताओं से बिना डर के वोट देने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? उन्होंने बताया कि दानापुर, ब्रह्मपुर और गोपालगंज में जेएसपी के तीन उम्मीदवारों ने दबाव और धमकी के कारण नाम वापस ले लिया है।
यथास्थिति का आनंद उठाने का आरोप
‘एनडीए और विपक्ष ने साढ़े तीन दशकों तक यथास्थिति का आनंद लिया’
किशोर ने कहा कि एनडीए और विपक्ष ने पिछले साढ़े तीन दशकों से यथास्थिति का आनंद लिया है और लोगों को बंधक बनाकर रखा है। अब उन्हें डर है कि जेएसपी उनके खेल में खलल डाल सकती है। उन्होंने कहा कि पटना साहिब के उम्मीदवार केसी सिन्हा भी दबाव में हैं, लेकिन वे अपनी बात पर अड़े हुए हैं।