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बिहार चुनाव में जुबानी जंग: योगी और अखिलेश के बीच तीखी नोकझोंक

बिहार के चुनावी माहौल में जुबानी जंग तेज हो गई है। योगी आदित्यनाथ ने महागठबंधन पर तीखा हमला किया, जबकि अखिलेश यादव ने पलटवार किया। दोनों नेताओं के बयानों ने राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है। जानें इस राजनीतिक संग्राम के पीछे की कहानी और आगामी चुनावों की स्थिति के बारे में।
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बिहार चुनाव में जुबानी जंग: योगी और अखिलेश के बीच तीखी नोकझोंक

मुख्यमंत्री योगी का महागठबंधन पर हमला


पटना: बिहार के चुनावी माहौल में जुबानी जंग ने जोर पकड़ लिया है। सोमवार को दरभंगा में आयोजित एक जनसभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) पर तीखा हमला किया। उन्होंने महात्मा गांधी के तीन बंदरों का उल्लेख करते हुए विपक्षी नेताओं पर कटाक्ष किया, यह कहते हुए कि अब तीन नए बंदर सामने आ गए हैं: पप्पू, टप्पू और अप्पू।


योगी का गांधी जी के उपदेश का संदर्भ

योगी ने कहा कि गांधी जी ने तीन बंदरों को यह सिखाया था कि बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो। लेकिन आज महागठबंधन के तीन नए बंदर आ गए हैं, जिनमें से एक सच नहीं बोल सकता, दूसरा सही को देख नहीं सकता और तीसरा सच नहीं सुन सकता।


RJD पर योगी का हमला

सीएम योगी ने आगे कहा कि ये नेता परिवारवाद और माफिया तंत्र को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे बिहार की सुरक्षा को खतरा हो रहा है। उन्होंने RJD पर आरोप लगाया कि इस पार्टी ने राज्य को जातिवाद, भ्रष्टाचार और अपराध की राजनीति में धकेल दिया है। योगी ने कहा कि ये वही लोग हैं जिन्होंने बिहार को बंदूक और पिस्तौल की संस्कृति दी और घुसपैठियों को आमंत्रित कर राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर किया।


अखिलेश यादव का जवाब

योगी के बयान के कुछ घंटे बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने पलटवार किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि जो लोग आईने में देखते हैं, उन्हें हर जगह बंदर नजर आते हैं।


सिवान में अखिलेश का बीजेपी पर हमला

सिवान में एक जनसभा में अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भी सीधा हमला किया। उन्होंने कहा कि हमें बिहार को 'गप्पू' और 'चप्पू' से बचाना है। NDA बिहार को गिरवी रखना चाहता है और वे तेजस्वी यादव के रोजगार और महिलाओं को ₹2500 सम्मान राशि देने के वादे से चिंतित हैं।


अखिलेश ने भाजपा के पुराने वादों पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी गप्पू का मामला है। उन्होंने 15 लाख रुपये देने, चांद पर जमीन बेचने और करोड़ों नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन ये सब जुमले साबित हुए।


अखिलेश ने यह भी कहा कि भाजपा अमेरिका से डरकर नई रणनीतियां अपना रही है ताकि अपनी चुनावी विफलताओं से ध्यान हटाया जा सके। उन्होंने दावा किया कि इस बार बिहार की जनता गप्पू-चप्पू की राजनीति नहीं, बल्कि समरसता और विकास को चुनेगी।


चुनावों की नजदीकियां और राजनीतिक तापमान

जैसे-जैसे बिहार में चुनाव नजदीक आ रहे हैं, एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच यह तीखी बयानबाजी राजनीतिक तापमान को और बढ़ा रही है। सभी दल एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिशों में जुटे हैं और लोकलुभावन वादे किए जा रहे हैं।