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बिहार में नई सरकार के गठन की तैयारी, एनडीए की रणनीति स्पष्ट

बिहार में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है, जहां एनडीए ने मंत्री पदों के बंटवारे पर सहमति बना ली है। भाजपा को 15 से 16 मंत्री पद मिलने की संभावना है, जबकि जदयू को लगभग 14 पद मिल सकते हैं। सहयोगी दलों की हिस्सेदारी भी तय की जा रही है। शपथग्रहण समारोह 19 या 20 नवंबर को होने की उम्मीद है। इस चुनाव में महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है। जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
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बिहार में नई सरकार के गठन की तैयारी, एनडीए की रणनीति स्पष्ट

बिहार में नई सरकार का गठन


बिहार में नई सरकार के गठन के लिए एनडीए ने अपनी योजना लगभग पूरी कर ली है। रविवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में भाजपा और जदयू के बीच मंत्री पदों के वितरण पर सहमति बनी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे, जबकि भाजपा को कैबिनेट में पहले से अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा।


मंत्री पदों का बंटवारा

सहयोगी दलों को उनके प्रदर्शन के अनुसार शामिल करने का रास्ता भी साफ हो गया है। यह सभी निर्णय हाल ही में घोषित चुनाव परिणामों और सीटों के अनुपात के आधार पर लिए गए हैं.


भाजपा को मिल सकते हैं 15 से 16 मंत्री पद

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की बैठक में यह स्पष्ट हुआ कि नई सरकार में भाजपा को 15 से 16 मंत्री पद मिल सकते हैं। पार्टी ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 89 सीटें जीती हैं और सबसे बड़ी घटक दल के रूप में उभरी है। अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भाजपा के बढ़ते जनसमर्थन को सरकार में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।


जदयू को मिलेंगे लगभग 14 मंत्री

जदयू को नई सरकार में लगभग 14 मंत्री पद मिलने की उम्मीद है। पार्टी ने 85 सीटें जीती हैं और गठबंधन की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, सीटें भाजपा से कम हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार के पास ही रहेगा। यह निर्णय गठबंधन की स्थिरता और पिछले कार्यकालों में बनी सामंजस्यपूर्ण कार्यशैली को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।


सहयोगी दलों की हिस्सेदारी

एलजेपी (राम विलास) को तीन मंत्री पद मिलने की संभावना है, क्योंकि उसने 19 सीटों पर जीत हासिल की है। जीतन राम मांझी की हम (से.) को एक पद और उपेंद्र कुशवाहा की रालमो को भी एक पद दिया जा सकता है। बैठक में यह सहमति बनी कि 6 विधायकों पर एक मंत्री पद का फार्मूला अपनाया जाएगा, जिससे साझा प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहे।


शपथग्रहण की संभावित तारीख

सूत्रों के अनुसार, नई सरकार का शपथग्रहण 19 या 20 नवंबर को हो सकता है। जैसे-जैसे कैबिनेट गठन की तस्वीर स्पष्ट हो रही है, राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है। एनडीए इस समारोह को शक्ति-प्रदर्शन के रूप में भी देख रहा है, क्योंकि गठबंधन ने कुल 202 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया है।


महागठबंधन की हार

इन चुनावों में विपक्ष केवल 35 सीटों के आसपास सिमट गया, जबकि भाजपा लगभग 95 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ सबसे आगे रही। कांग्रेस ने हार के बाद चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए मतदाता सूची के 'जल्दबाजी में किए गए' संशोधन को जिम्मेदार ठहराया। वहीं भाजपा का दावा है कि जनता ने जाति-धर्म की राजनीति को नकारते हुए एनडीए को निर्णायक जनादेश दिया है और यह नतीजा अगले वर्ष पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु चुनावों में भी प्रभाव डालेगा।