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उत्तराखंड विधानसभा में 1.01 लाख करोड़ का बजट पारित, सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित

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उत्तराखंड विधानसभा में 1.01 लाख करोड़ का बजट पारित, सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित


देहरादून, 22 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड विधानसभा में शनिवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1,01,175.33 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पारित किया गया। इससे पहले गुरुवार को वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने सदन में बजट पेश किया था। पंचम विधानसभा के 2025 बजट सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। आज प्रश्नकाल स्थगित रहा और विधानसभा ने विभागवार बजट के साथ विनियोग विधेयक भी पारित कर दिया।

विधानसभा में ऊर्जा विभाग के बजट पर कांग्रेस विधायक विक्रम नेगी ने कटौती का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सोलर योजना शुरू की, लेकिन यूपीसीएल की लाइनों की क्षमता पर्याप्त नहीं है। बिजली विभाग ने टेक्निकल फिजिबिलिटी रिपोर्ट (टीएफआर) देना बंद कर दिया है, जिससे रोजगार के अवसर खत्म हो गए हैं। टिहरी में सोलर प्रोजेक्ट का काम लटका हुआ है। उन्होंने मांग की कि सोलर सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में दी जाए। उन्होंने बताया कि टिहरी में 600 लोगों ने आवेदन किया था लेकिन विभाग ने केवल 485 को ही टीएफआर दी।

विधायक नेगी ने कहा कि टिहरी में 100 करोड़ रुपये की लागत से डीपीआर लाइनों के उन्नयन की योजना भेजी गई है। बजट में इसके लिए पर्याप्त राशि नहीं है। उन्होंने इस राशि को बढ़ाने की मांग की।

विधायक वीरेंद्र जाती ने बजट कटौती प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि बिजली मीटर जंपिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं और उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है। नए ट्यूबवेल कनेक्शन में कई महीनों का समय लग रहा है। बिजली विभाग अपनी क्षमता बढ़ाने में पूरी तरह विफल है। किसानों की बिजली रोककर कंपनियों को बिजली दी जा रही है। बिजली चोरी के मुकदमे जबरदस्ती दर्ज किए जा रहे हैं।

विधायक काजी निजामुद्दीन ने उत्तराखंड में बिजली विभाग के घाटे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 2021-22 में विभाग को 21 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था,जो 2022-23 में बढ़कर 1224 करोड़ रुपये हो गया। यह नुकसान इतना अधिक कैसे हो गया?

इस पर सरकार की ओर से बताया कि बिजली चोरी और मीटर जंपिंग को रोकने के लिए स्मार्ट मीटर लाए जा रहे हैं। विपक्ष बजट को एक रुपया करने की बात कर रहा है, जबकि सरकार बजट बढ़ाने की कोशिश कर रही है। विभाग की मांग के अनुसार ही बजट आवंटित किया जाता है।

कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में रोडवेज डिपो घाटे में चल रहे हैं और बसों में ड्राइवरों की कमी है। उन्होंने यह भी पूछा कि एनजीटी के निर्देश के बावजूद कितनी पुरानी बसें हटाई गईं और कितनी नई बसें खरीदी गईं। उन्होंने परिवहन विभाग के पुराने ढर्रे और संविदा कर्मचारियों की नौकरी पक्की न होने की समस्या को भी उठाया। विपक्ष के अन्य सदस्यों ने भी परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।

बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने कहा कि विभाग ने फिटनेस सेंटर जैसे लूट सेंटर खोल दिए हैं और उन्हें बंद किया जाना चाहिए।

भाजपा विधायक दिलीप रावत ने वाहनों की फिटनेस की मैनुअल प्रक्रिया पर जोर दिया। विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने चारधाम यात्रा के लिए बेहतर सुविधाओं की मांग की। भाजपा विधायक विनोद चमोली ने आईएसबीटी को री-डिजाइन करने और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अलग बस अड्डे बनाने का सुझाव दिया। कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने पहाड़ी क्षेत्रों में बसों की कम संख्या और मुआवजे में असमानता की समस्या को उठाया।

संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि ई-बसों के लिए बजट की व्यवस्था की गई है और पीएम बस सेवा के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

अनुसूचित जनजातियों के बजट में कटौती का प्रस्ताव:

कांग्रेस विधायक गोपाल सिंह राणा ने अनुसूचित जनजातियों के बजट में कटौती के प्रस्ताव पर कहा कि एक लाख करोड़ से ज्यादा के बजट में से अगर 03 प्रतिशत भी जनजाति को दिया जाए तो उनका उद्धार हो सकता है। जनजातीय सलाहकार परिषद का कहीं पता नहीं है और केवल एक उपाध्यक्ष को बना दिया जाता है, जबकि जनजातियों के प्रतिनिधि नहीं होते। उन्होंने जनजातीय निदेशालय के गठन की मांग की।

संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि गत वर्ष 717 करोड़ 89 लाख रुपये का बजट था, जिसे इस बार 821 करोड़ 41 लाख रुपये तक बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय सलाहकार परिषद की प्रक्रिया गतिमान है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार