मुख्यमंत्री ने आईआईटी-जी में अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में लिया हिस्सा
- मुख्यमंत्री ने समाज के लाभ के लिए अनुसंधान के व्यावहारिक अनुप्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया
गुवाहाटी, 30 नवंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने आज आईआईटी गुवाहाटी में आयोजित भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2024 में भाग लिया। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. सरमा ने आईआईएसएफ को नवाचार, उत्कृष्टता और राष्ट्रीय विकास और समृद्धि को आगे बढ़ाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिनके नेतृत्व ने पूर्वोत्तर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासकर, वैज्ञानिक प्रगति के परिवर्तनकारी प्रभाव के माध्यम से। उन्होंने कहा कि हमारे समकालीन परिदृश्य में, किसी राष्ट्र की प्रगति प्रौद्योगिकी, संसाधनों और पूंजी के सामंजस्यपूर्ण एकीकरण से जटिल रूप से जुड़ी हुई है, जो परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी को प्राथमिक उत्प्रेरक के रूप में उजागर करता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी प्रगति सामाजिक समानता प्राप्त करने, गरीबी को कम करने और जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कृषि से लेकर स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरण विज्ञान, ऊर्जा उत्पादन और संचार तक, विज्ञान नवाचार के इंजन के रूप में कार्य करता है, जो मानव अस्तित्व को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है और एक स्थायी भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने तेजपुर विश्वविद्यालय, गुवाहाटी विश्वविद्यालय, एनआईपीईआर-गुवाहाटी और विश्वनाथ कृषि महाविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से तकनीशियनों, उद्यमियों और छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए कौशल विज्ञान केंद्रों की स्थापना की सिफारिश की। उन्होंने जलवायु अध्ययन और अनुकूलन के लिए उत्तर पूर्व संस्थान के निर्माण का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की जलवायु कमजोरियों को दूर करना है, साथ ही इसकी समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करना और स्वदेशी ज्ञान को जलवायु अनुकूलन रणनीतियों में एकीकृत करना है। सीएम ने इसरो की एनईटीआरए परियोजना के लिए असम सरकार द्वारा आवंटित 200 बीघा भूमि के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में स्थानिक स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ाना है। उन्होंने पूर्वोत्तर भारत के युवाओं को सशक्त बनाने के लिए इस पहल के हिस्से के रूप में एक रडार और संचार प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने असम में चौथे सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी-मेट) की स्थापना का प्रस्ताव रखा, जिसमें हाइड्रोजन उत्पादन, ऊर्जा भंडारण और 2डी सामग्रियों के उपयोग में अग्रणी अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। डॉ. सरमा ने अपने विश्वास जताया कि इन पहलों में असम और पूर्वोत्तर के लिए परिवर्तनकारी क्षमता है। उन्होंने इन आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सभी हितधारकों के समर्थन का आह्वान किया, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा मिले।
आज के कार्यक्रम में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह, मंत्री केशव महंत, अरुणाचल प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री दासंगलु पुल, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत, डीएसटी सचिव प्रो. अभय करंदीकर, डीएसआईआर सचिव एवं सीएसआईआर महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेलवी, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. एके सूद, विभा के राष्ट्रीय आयोजन सचिव डॉ. शिव कुमार शर्मा, डीबीटी सचिव डॉ. राजेश गोखले, आईआईटी-जी के निदेशक प्रो. देवेंद्र जालीहाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश