गुणवत्ता वाले हाइब्रिड बीज, बायोफोर्टिफाइड फसलों तक पहुंच बना सकते हैं: दिनेश प्रताप सिंह
—13वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए राज्य मंत्री
बोले—राज्य की विविध जलवायु साल भर कई प्रकार की फसलें उगाने की अनुमति देती है
वाराणसी,30 नवम्बर (हि.स.)। तीन दिवसीय 13वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस का समापन शनिवार को इरी साउथ एशिया रीजनल सेंटर (आइसार्क) और नेशनल सीड रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर के साझा परिसर में हुआ। समापन समारोह में शामिल उत्तर प्रदेश के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि तीन दिवसीय कांग्रेस में हुई मंथन और सिफारिशें उत्तर प्रदेश के बीज तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण होगी। हमारे राज्य को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन का केंद्र बनाने के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में भी काम करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विविध कृषि जलवायु स्थितियां, बड़ी कृषि क्षेत्र और समर्पित किसान हैं। सही रणनीतियों के साथ हम किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाले हाइब्रिड बीज, बायोफोर्टिफाइड फसलों और सब्जी बीजों तक पहुंच प्रदान कर सकते हैं, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ेगी।
मंत्री ने कहा कि बीज पार्कों के विकास, सार्वजनिक-निजी साझेदारियों को बढ़ावा देने, और किसानों को बीज उद्यमी के रूप में सशक्त बनाने पर की गई चर्चा और इसके परिणामों को राज्य सरकार पूरी तरह से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। सम्मेलन में इरी की डायरेक्टर जनरल डॉ. यवोन पिंटो ने कहा कि इस सम्मेलन से साझेदारी को बढ़ावा देने, नवाचार को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के महत्व की पुष्टि हुई है। जलवायु परिवर्तन, कुपोषण और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है, और ऐसे आयोजन ही परिवर्तनकारी समाधान के लिए नींव रखते हैं। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू ने सम्मेलन के ठोस परिणामों की सराहना की । उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के पास बीज उत्पादन में वैश्विक नेता बनने की क्षमता है। इस कांग्रेस के दौरान की गई चर्चाओं ने मजबूत वितरण नेटवर्क, सार्वजनिक-निजी साझेदारी और किसानों को सशक्त बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है। टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर और बीज बंधु योजना और साथी पोर्टल जैसी नीतियों के साथ हम बीज तंत्र में गुणवत्ता और ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित कर सकते हैं।
“स्थिर बीज पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नवाचार” विषयक सम्मेलन में रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. पंजाब सिंह ने कृषि में बीजों की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया। उन्होंने कहा कि बीज कृषि की नींव है और हमारे बीज तंत्र को मजबूत करना खाद्य सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने अतिथियों का आभार ज्ञापन कर कहा कि इस कांग्रेस ने नवाचार और सहयोग का एक मापदंड स्थापित किया है। यहां चर्चा किए गए ठोस रणनीतियाँ हमें एक स्थिर और समावेशी बीज तंत्र बनाने में मदद करेंगी । तीन दिनों तक चली इस कांग्रेस में महत्वपूर्ण चर्चाएँ, ज्ञान साझा करने, और भारतीय बीज क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए सामूहिक रूप से रणनीतियाँ बनाई गईं। सम्मेलन किसानों, उद्योग विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, छात्रों और नीति निर्माताओं के लिए बड़ा मंच साबित हुई। इस कांग्रेस में भारत और विदेशों से 700 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।
नवाचारपूर्ण बीज प्रौद्योगिकी पर चर्चा
सम्मेलन में नवाचारपूर्ण बीज प्रौद्योगिकियां, हाइब्रिड और बायोफोर्टिफाइड फसलों, तनाव-सहनशील किस्मों और स्पीड-ब्रीड जैसी तकनीकों पर खास तौर पर चर्चा हुई। इसके अलावा सीधे बोई गई चावल (डीएसआर) और शून्य जुताई जैसी कम लागत वाली तकनीकें,किसानों में क्षमता निर्माण, आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुधारना और बीज उद्यमिता को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी