कांग्रेस विधायकों ने किया विधानसभा का बायकॉट, चार दिन बाद धरना खत्म
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जयपुर, 24 फ़रवरी (हि.स.)। विधानसभा में चार दिनों से चल रहा कांग्रेस विधायकों का धरना सोमवार को खत्म हो गया। इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस विधायकों ने बायकॉट की घोषणा की और सदन से बाहर निकल आए।
कांग्रेस विधायक बायकॉट करके बाहर निकले तो निलंबित विधायक भी बाहर आए। कुछ देर बाद निलंबित विधायक हाकम अली, जाकिर हुसैन गैसावत, संजय जाटव दोबारा विधानसभा के अंदर जाना चाह रहे थे तो सुरक्षा कर्मियों ने नियमों का हवाला देकर उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस दौरान उनकी सुरक्षाकर्मियों से तीखी नोंक-झोंक हुई।
इससे पहले सदन में बजट पर बहस के दौरान मार्शलों की घेराबंदी में कार्यवाही चली, जबकि कांग्रेस विधायक वैल में नारेबाजी करते रहे। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने एक सदस्य पर सदन को हाईजैक करने का आरोप लगाया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बायकॉट की घोषणा की।
सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत छह विधायकों को सदन से बाहर जाने को कहा। हंगामे के चलते कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। देर शाम को विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा के नियमों के अनुसार निलंबित विधायक परिसर में नहीं आ सकते। जब वे वापस सदन में जाने की कोशिश करने लगे तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान दोनों पक्षों में तीखी नोंक-झोंक हुई।
स्थिति बिगड़ती देख वरिष्ठ कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने निलंबित विधायकों को समझा-बुझाकर मामला शांत करवाया। गतिरोध बनने के बाद अब डोटासरा सहित सभी निलंबित विधायकों की बहाली अटक गई है।
इससे पूर्व, सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध समाप्त होने की सहमति बन चुकी थी और निलंबित विधायकों की बहाली का रास्ता भी लगभग साफ हो गया था। हालांकि, इसके बाद माफी मांगने के मुद्दे पर मतभेद उभर आए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने घटनाक्रम पर खेद तो व्यक्त किया, किंतु व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने से इनकार कर दिया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने उनसे आग्रह किया कि वे सदन की गरिमा को बनाए रखते हुए उनकी टेबल तक पहुंचने की घटना पर खेद जताएं। किंतु, डोटासरा ने पहले मंत्री से माफी मंगवाने की शर्त रख दी, जिससे स्थिति पुनः जटिल हो गई।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सदन में जो कुछ भी हुआ, वह नहीं होना चाहिए था। उन्होंने पक्ष और विपक्ष से अपील की कि वे एकजुट होकर राजस्थान के विकास पर चर्चा करें। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी के कारण उत्पन्न गतिरोध अब समाप्त किया जाना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे इस गतिरोध को समाप्त करने में पहल करें। वहीं गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए अध्यक्ष ने व्यापक उदारता का परिचय दिया है।
गौरतलब है कि 21 फरवरी को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत की एक टिप्पणी के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर प्रदर्शन किया था। अविनाश गहलोत ने अपने उत्तर में कहा था कि वर्ष 2023-24 में एक योजना का नाम आपकी दादी इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया था।
इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई और विरोध प्रदर्शन किया। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा था कि ‘दादी’ शब्द सम्मानसूचक है, किंतु उनके बयान के दौरान ही हंगामा और बढ़ गया। कांग्रेस विधायक इस दौरान स्पीकर की टेबल तक पहुंच गए, जिसके कारण सदन की कार्यवाही को आधे घंटे के लिए स्थगित करना पड़ा। इस मुद्दे पर जारी गतिरोध के कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी।
बाद में मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कांग्रेस विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव सदन में रखा, जिसे स्पीकर वासुदेव देवनानी ने स्वीकार कर लिया। इसके तहत गोविंद सिंह डोटासरा, उप नेता प्रतिपक्ष रामकेश मीणा, अमीन कागजी, जाकिर हुसैन गैसावत, हाकम अली खान और संजय कुमार को बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। तब से गतिराेध बना हुआ है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित