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बंगाल में चुनाव प्रचार की रणनीति को पूरी तरह विकेंद्रीकृत करेगी माकपा

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कोलकाता, 25 फरवरी (हि.स.) । पश्चिम बंगाल में माकपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी प्रचार रणनीति को पूरी तरह विकेंद्रीकृत करने जा रही है। यह फैसला हुगली जिले के डानकुनी में चल रहे पार्टी के 27वें राज्य सम्मेलन में एक आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस विकेंद्रीकरण को केवल रिपोर्ट में ही नहीं सुझाया गया, बल्कि सम्मेलन में मौजूद कई प्रतिनिधियों ने भी इसका समर्थन किया।

माकपा केंद्रीय समिति के एक सदस्य ने बताया कि प्रचार रणनीति का पहला स्तर जोनल स्तर पर तय किया जाएगा, जहां प्रत्येक क्षेत्र की मुख्य समस्याओं की पहचान कर रणनीति तैयार की जाएगी। दूसरे स्तर पर, विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर प्रचार अभियान को और अधिक विशिष्ट बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक और जातीय विविधता को देखते हुए एक समान प्रचार रणनीति पूरे राज्य के लिए प्रभावी नहीं हो सकती। इसलिए प्रचार अभियान के विकेंद्रीकरण की जरूरत महसूस की जा रही है।

माकपा का यह राज्य सम्मेलन 22 फरवरी से जारी है और मंगलवार को इसका समापन होगा, जिसके बाद पार्टी की नई राज्य समिति की घोषणा की जाएगी। यह समिति अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करेगी।

माकपा की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को बंगाल की द्विध्रुवीय राजनीति का सबसे बड़ा लाभार्थी माना है।

रिपोर्ट में पार्टी नेतृत्व ने जोर दिया है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को हर स्तर पर भाजपा का राजनीतिक और वैचारिक रूप से मुकाबला करना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है, पश्चिम बंगाल में पार्टी पिछले एक दशक से तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों से लड़ रही है। इस दौरान पार्टी को हर स्तर पर भाजपा का अधिक प्रभावी तरीके से राजनीतिक और वैचारिक मुकाबला करने की जरूरत है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि राज्य के कई धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले मतदाता भाजपा के खिलाफ तृणमूल को एक मजबूत विकल्प मान रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर