धान फसल गिरने से नुकसान का अंदेशा, मजदूरों ने बढ़ाई मजदूरी
धमतरी, 21 नवंबर (हि.स.)। खरीफ की फसल की देरी से बुआई-रोपाई करने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई पड़ रही है। हाल के दिनों में तेज हवा चलने से कई खेतों में धान की फसल गिर गई है। किसान उत्पादन कम होने की आशंका जता रहे हैं।
खरीफ की तैयार हो रही फसल के तेज हवा से खेतों में गिर जाने से किसान इन दिनों चिंतित नजर आ रहे हैं। कई किसान ऐसे भी हैं जिनकी फसल कटाई शुरू नहीं हो पाई है। धान फसल के खेत में गिरने से खरीफ फसल को इससे काफी नुकसान पहुंच रहा है। कुछ किसानों ने बालियों को बांधकर फसल बचाने का प्रयास भी किया है। पर वह नाकाफी साबित हो रहा है।
ग्राम मुड़पार के रामकुमार साहू, पंकज साहू उमेश कुमार ने बताया कि उनके खेत में धान की फसल गिर गई है। एक तो बहुत ही मशक्कत के बाद फसल तैयार हुई है, उपर से तेज हवा से फसल गिर गई है। तैयार फसल के खेत में गिरने से ऐसी फसल की कटाई में काफी दिक्कत आती है। उपर से बालियों से धान गिरते हैं। इससे उत्पादन में फर्क आता है। धमतरी शहर के अलग-अलग वार्डों के अलावा शहर से लगे गांव लोहरसी, श्यामतराई, अर्जुनी, लोहरसी, श्यामतराई,शंकरदाह, डोड़की, खपरी, भानपुरी, देमार, ग्राम खपरी, भानपुरी, कुर्रा, तरसीवां, ईर्रा, कोर्रा, कलारतराई,सोरम, भटगांव, कोलियारी, खरेंगा गाड़ाडीह, रामपुर, सहित अन्य गांवों के खेतों में धान की फसल गिर गई है। ऐसी फसल की कटाई मशीन से नहीं की जा सकती है। ऐसे में मजदूरों की मांग बढ़ गई है। गांवों में प्रतिदिन की मजदूरी दर 250 से 300 रुपये चल रही है। खेत में गिरे फसल को काटने में मजदूर व्यस्त हैं। नवांगांव के राजेश कुमार ने बताया कि खेत में तेज हवा से फसल गिर जाती है। दो साल पहले भी इस तरह की स्थिति बनी थी। तब प्रति एकड़ दो से तीन क्विंटल उत्पादन का फर्क आ गया था। कोर्रा के खूबलाल साहू ने बताया कि फसल में माहो और तनाछेदक की बीमारी होने से नुकसान होता है। क्षेत्र में जिन किसानों ने बुआई लेट से की है, उन्हें कीटों की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा