दिल्ली की पार्षद का विवादास्पद वीडियो: नस्लीय टिप्पणियों पर उठे सवाल
दिल्ली में नया विवाद
नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीतिक परिदृश्य में एक बार फिर विवाद उत्पन्न हुआ है। पटपड़गंज वार्ड से भारतीय जनता पार्टी की पार्षद रेनू चौधरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। इस वीडियो में वह अफ्रीकी मूल के कुछ व्यक्तियों को हिंदी न बोलने पर फटकार लगाते हुए दिखाई दे रही हैं। वीडियो के वायरल होने के बाद नस्लीय टिप्पणियों के आरोप लग रहे हैं और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
वीडियो में पार्षद की बातें
इस वायरल वीडियो में पार्षद रेनू चौधरी यह कहते हुए सुनाई दे रही हैं कि पहले हिंदी बोलना सीखें। वह यह भी कहती हैं कि उन्हें पहले भी हिंदी सीखने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, वह यह भी कहती हैं कि यदि एक महीने के भीतर हिंदी नहीं सीखी गई, तो पार्क से उन्हें हटा दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि वे यहां का पैसा ले रहे हैं, तो हिंदी बोलना भी सीखना चाहिए।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
लोगों की नाराजगी
जैसे ही वीडियो सामने आया, कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पर आपत्ति जताई। लोगों ने आरोप लगाया कि यह बयान नस्लीय टिप्पणी की श्रेणी में आता है और किसी भी लोकतांत्रिक समाज में इस तरह की भाषा अस्वीकार्य है। कुछ यूजर्स ने इसे विदेशी नागरिकों के अपमान से जोड़ा, जबकि कई ने इसे असंवेदनशील और भेदभावपूर्ण बताया।
रेनू चौधरी का स्पष्टीकरण
पार्षद का पक्ष
विवाद बढ़ने के बाद रेनू चौधरी ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह मामला मयूर विहार फेज-एक स्थित लवली अपार्टमेंट के पास दिल्ली नगर निगम के एक पार्क से संबंधित है। उनके अनुसार, यह घटना 13 दिसंबर की है। चौधरी ने बताया कि स्थानीय लोगों ने शिकायत की थी कि पार्क में 15 से 20 अफ्रीकी मूल के लोग नियमित रूप से मौजूद रहते हैं और बच्चों को फुटबॉल सिखाते हैं।
सफाई और नियमों का पालन
नियमों का हवाला
रेनू चौधरी ने कहा कि वह निगम अधिकारियों के साथ मौके पर गईं और वहां मौजूद लोगों से पार्क की सफाई बनाए रखने को कहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि पार्क का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, तो इसके नियमों का पालन आवश्यक है। जब उन्होंने उनसे बात करने की कोशिश की, तो संबंधित लोग हिंदी न जानने की बात कहने लगे।
हिंदी सीखने की सलाह पर विवाद
विवाद की जड़
पार्षद ने बताया कि उन्होंने उन्हें हिंदी सीखने की सलाह दी क्योंकि जो लोग यहां रह रहे हैं, उन्हें कम से कम बुनियादी हिंदी आनी चाहिए। चौधरी के अनुसार, वह आठ महीने पहले भी पार्क का निरीक्षण करने गई थीं और उस समय भी वही लोग वहां मौजूद थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पूरे मामले में कुछ भी गलत नहीं कहा है और उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है।
राजनीतिक और सामाजिक विवाद
बढ़ती बहस
इस पूरे प्रकरण ने भाषा, समावेशन और विदेशी नागरिकों के अधिकारों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। कुछ लोग स्थानीय नियमों और संवाद की आवश्यकता की बात कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे असंवेदनशील रवैया मान रहे हैं। फिलहाल, यह वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने की संभावना है।
