दिल्ली में NCB का बड़ा ड्रग ऑपरेशन: करोड़ों की मेथाम्फेटामिन जब्त
दिल्ली में NCB की बड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने दिल्ली में एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन के तहत करोड़ों रुपये की ड्रग्स जब्त की है। यह कार्रवाई एक फार्महाउस पर छापेमारी से शुरू हुई, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय सिंथेटिक ड्रग्स गिरोह की गतिविधियों का पर्दाफाश किया। इस विशेष अभियान के दौरान तीन दिनों में 200 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध ड्रग्स बरामद की गईं।
फार्महाउस से मिली महत्वपूर्ण जानकारी
NCB के अनुसार, छतरपुर में एक फार्महाउस पर की गई कार्रवाई के दौरान टीम को ऐसे सुराग मिले, जिन्होंने पूरे ड्रग नेटवर्क का खुलासा किया। प्रारंभिक जानकारी से पता चला कि यह सिंथेटिक ड्रग्स गैंग केवल भारत में नहीं, बल्कि विदेशों से संचालित हो रहा था। विदेशी ऑपरेटर अपनी पहचान छुपाकर भारत में मौजूद अपने एजेंट्स को ऑनलाइन गुप्त प्लेटफॉर्म के माध्यम से निर्देश देते थे।
सूत्रों के अनुसार, फार्महाउस से मिले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, पैकिंग सामग्री और रसायनों ने जांच को नया मोड़ दिया। इसके बाद NCB ने दिल्ली-NCR के विभिन्न क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना शुरू किया।
नोएडा से गिरफ्तार मुख्य आरोपी
तीन दिनों की लगातार निगरानी के बाद, NCB ने इस ड्रग नेटवर्क से जुड़े एक प्रमुख सदस्य 25 वर्षीय शेन वारिस को गिरफ्तार किया। शेन उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के मंगरौली गांव का निवासी है। गिरफ्तारी के समय वह नोएडा सेक्टर-5, हरौला में किराए के मकान में रह रहा था और एक निजी कंपनी में सेल्स मैनेजर के रूप में कार्यरत था।
जांच में यह भी सामने आया कि शेन इस नेटवर्क का सक्रिय हिस्सा था और विदेशी बॉस के सीधे संपर्क में था। अपनी गतिविधियों को छुपाने के लिए, उसने फेक सिम कार्ड, एक बार इस्तेमाल होने वाले मोबाइल नंबर और एन्क्रिप्टेड चैट ऐप्स का उपयोग किया।
छतरपुर से बरामद मेथाम्फेटामिन
शेन की गिरफ्तारी के बाद, NCB को महत्वपूर्ण सफलता मिली जब उसकी निशानदेही पर छतरपुर से 328.54 किलो मेथाम्फेटामिन बरामद की गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है। यह ड्रग्स उच्च गुणवत्ता की थी, जो दर्शाती है कि यह नेटवर्क बड़े पैमाने पर और पेशेवर तरीके से संचालित होता था।
विदेशी ऑपरेटरों की भूमिका की जांच जारी
NCB अधिकारी अब इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने के लिए प्रयासरत हैं। प्रारंभिक जांच से स्पष्ट है कि पूरा मॉड्यूल विदेश में स्थित ड्रग माफिया के निर्देश पर काम कर रहा था। लेनदेन, सप्लाई चैन और डिलीवरी मॉड्यूल को ऐसे प्लेटफॉर्म पर संचालित किया जाता था, जिन्हें ट्रैक करना बेहद कठिन होता है।
जांच एजेंसी अब डिजिटल फुटप्रिंट, बैंक लेनदेन, अंतरराष्ट्रीय कॉल रिकॉर्ड और चैट लॉग्स की मदद से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह में कितने लोग शामिल थे और भारत में उनका नेटवर्क कितना बड़ा है।
