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दिल्ली में ग्रीन पटाखों की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट का फैसला

दिल्ली में दीवाली के दौरान ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने पर्यावरण कार्यकर्ताओं के बीच विवाद पैदा कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंधों का प्रदूषण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और गाइडलाइंस क्या हैं।
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दिल्ली में ग्रीन पटाखों की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट का ग्रीन पटाखों पर निर्णय


सुप्रीम कोर्ट का ग्रीन पटाखों पर निर्णय: दीवाली से पहले दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर पर पहुँच गया है, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने इस साल दीवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी है। कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा है कि सख्त नियमों की कमी के कारण ग्रीन पटाखों के नाम पर सामान्य पटाखे जलाए जाएंगे। उनका यह भी कहना है कि ग्रीन पटाखे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होते और ये भी पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं। हालांकि, कोर्ट ने अपने निर्णय का कारण भी स्पष्ट किया है।


पटाखों पर प्रतिबंध का प्रभाव:


कोर्ट ने कहा कि केवल कोविड-19 के दौरान ही AQI में उल्लेखनीय कमी आई थी। इसके अलावा, किसी भी प्रतिबंध का प्रदूषण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह देखा गया है कि 2014 और 2018 में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने से कोई लाभ नहीं हुआ। केवल कोरोना काल में प्रदूषण में कमी आई थी।'


उत्सव की भावना का महत्व:


कोर्ट ने कहा कि पटाखे जलाना उत्सव की भावना को दर्शाता है और यह धार्मिक समारोहों में आनंद बढ़ाता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि उत्सव की भावना के कारण स्वास्थ्य को दीर्घकालिक या अल्पकालिक नुकसान नहीं होना चाहिए।


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब पर्यावरण और स्वास्थ्य की बात आती है, तो व्यावसायिक हितों और उत्सव की भावनाओं को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए।


गाइडलाइंस क्या हैं:


सुप्रीम कोर्ट ने इस दीवाली पर केवल राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा अनुमोदित ग्रीन पटाखों के बिक्री और उपयोग की अनुमति दी है।


इन पटाखों को पूरे एनसीआर में केवल निर्धारित स्थलों पर, सुबह 6 से 7 बजे और शाम 8 से 10 बजे के बीच, 18 से 21 अक्टूबर तक ही जलाने की अनुमति होगी। इसका मतलब है कि लोग केवल 4 दिन ही पटाखे जला सकेंगे।