दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ता खतरा: पुरुषों पर अधिक प्रभाव
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीरता
नई दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। यह जहरीली हवा न केवल बच्चों और युवाओं के लिए, बल्कि सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए हानिकारक साबित हो रही है।
पुरुषों पर प्रदूषण का अधिक प्रभाव
हाल ही में नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए पांच साल के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा का प्रभाव महिलाओं की तुलना में पुरुषों के फेफड़ों पर अधिक पड़ रहा है।
PM2.5 और PM10 कणों का अध्ययन
इस अध्ययन में यह पाया गया कि PM2.5 कणों का जमाव पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक है। बैठने की स्थिति में यह 1.4 गुना और चलते समय 1.2 गुना अधिक था। PM10 के मामले में भी यही स्थिति देखी गई है।
पुरुषों पर प्रदूषण का प्रभाव क्यों?
कारणों की जांच
शोधकर्ताओं का मानना है कि पुरुष आमतौर पर बाहर काम करते हैं और प्रदूषण के संपर्क में अधिक रहते हैं, जबकि महिलाएं अधिकतर घर के अंदर रहती हैं। सांस लेने की गति और गहराई भी जेंडर और शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करती है, जिससे पुरुषों के फेफड़ों पर प्रदूषण का असर अधिक होता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं
PM2.5 और PM10 कणों का अधिक जमाव अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि पुरुषों में चलते समय PM10 का स्तर WHO के मानक से 10 से 40 गुना अधिक था।
समाधान के लिए सुझाव
शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम सुझाए हैं, जिनमें पराली जलाने पर सख्त रोक और शहरों में हरियाली बढ़ाने की आवश्यकता शामिल है।
