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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर, हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट

दिल्ली की हवा ने हाल ही में गंभीर स्थिति को छू लिया है, जहां AQI 428 तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम की स्थिरता और स्थानीय प्रदूषण के कारण यह स्थिति बनी है। स्वास्थ्य पर इसके गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं, जिससे सांस की समस्याएं बढ़ रही हैं। सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन राहत की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। जानें इस संकट के पीछे के कारण और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में।
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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर, हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट

दिल्ली की हवा ने चेतावनी की सीमा पार की


दिल्ली की वायु गुणवत्ता ने हाल ही में एक गंभीर मोड़ लिया है। नवंबर के दूसरे सप्ताह में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया कि यह पहली बार AQI 'सीवियर' श्रेणी में पहुंच गया। सोमवार को जो हवा 'वेरी पूअर' थी, वह मंगलवार को अचानक खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम की स्थिरता, धूल और स्थानीय उत्सर्जन का यह संयुक्त प्रभाव है, जिसने दिल्लीवासियों के लिए सांस लेना मुश्किल बना दिया है।


AQI 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचा

हाल ही में CPCB द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI 428 दर्ज किया गया है, जो 'सीवियर' श्रेणी में आता है। इसका अर्थ है कि यह स्तर अब स्वस्थ व्यक्तियों को भी प्रभावित कर सकता है, जबकि अस्थमा या हृदय रोग से ग्रस्त लोगों के लिए यह अत्यधिक खतरनाक है। इससे पहले, इतनी खराब हवा दिसंबर 2024 में देखी गई थी।


स्थिर मौसम और स्थानीय प्रदूषण के कारण

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के दिनों में दिल्ली-एनसीआर में हवा की गति बहुत धीमी रही है। हवा की स्थिरता के कारण प्रदूषक कण वायुमंडल में फंसे रहते हैं। इसके अलावा, वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य और ठंड के मौसम में बढ़ी हुई पराली की गंध ने हवा को और भी जहरीला बना दिया है।


स्वास्थ्य पर प्रभाव

AIIMS और सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि हाल के दिनों में सांस की समस्याओं और आंखों में जलन के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि सुबह के समय बाहर जाने से बचें और एन-95 मास्क का उपयोग करें। बुजुर्ग, बच्चे और गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानी बरतें।


सरकार और एजेंसियों की सक्रियता

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेप-4 चरण लागू किया है। इसमें निर्माण कार्यों पर रोक, ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने जैसे कदम शामिल हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी एजेंसियां सक्रिय हैं।


सांस लेना हुआ कठिन, राहत की कोई उम्मीद नहीं

दिल्ली की हवा इस समय स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी है। AQI 428 केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह राजधानी की सांसों पर मंडराते संकट का संकेत भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि हवा में सुधार तभी संभव है जब मौसम में बदलाव के साथ-साथ सख्त नियंत्रण उपाय भी जारी रहें।