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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा, AQI 450 के पार

दिल्ली एनसीआर में ठंड की शुरुआत के साथ प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में, राजधानी का AQI 450 के पार पहुंच गया है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। कई क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है, और गाजियाबाद का AQI 600 के पार पहुंचना खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। जानें किन इलाकों में हवा सबसे खराब है और प्रदूषण के असली कारण क्या हैं।
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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा, AQI 450 के पार

दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति


दिल्ली एनसीआर में ठंड की शुरुआत भले ही हल्की हो, लेकिन प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। सोमवार को राजधानी की हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। कई क्षेत्रों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 से ऊपर दर्ज किया गया, जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है। हवा की धीमी गति, तापमान में गिरावट और धूल-मिट्टी ने मिलकर राजधानी की सांसों पर भारी असर डाला है।


रविवार का AQI और सोमवार की स्थिति

रविवार को दिल्ली का कुल AQI 391 रहा, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है। यह शनिवार के मुकाबले 21 अंक अधिक है। हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर ने भी चिंता को बढ़ा दिया है।


रविवार शाम चार बजे पीएम 10 का स्तर 373.3 और पीएम 2.5 का स्तर 215.8 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य सीमा से लगभग साढ़े तीन गुना अधिक है। सोमवार को स्थिति और भी खराब हो गई, और शहर का औसत AQI 404 दर्ज किया गया।


दिल्ली एनसीआर के प्रमुख शहरों का AQI

शहर एक्यूआई
दिल्ली 404
नोएडा 451
गाजियाबाद 604
गुड़गांव 395
ग्रेटर नोएडा 471


गाजियाबाद का AQI 600 के पार पहुंचना बेहद खतरनाक स्थिति को दर्शाता है।


दिल्ली के सबसे प्रदूषित क्षेत्र

सोमवार को कई क्षेत्रों ने गंभीर श्रेणी में प्रवेश कर लिया। नीचे सबसे खराब AQI वाले क्षेत्रों की सूची दी गई है।


रैंक इलाका एक्यूआई
1 वजीरपुर 456
2 विवेक विहार 456
3 रोहिणी 449
4 जहांगीरपुरी 446
5 बवाना 440
6 आनंद विहार 436
7 अशोक विहार 434
8 मुंडका 422
9 नरेला 422
10 बुराड़ी 415


इन क्षेत्रों में हवा इतनी खराब है कि सुबह और शाम लोगों को गले में जलन और आंखों में चुभन महसूस हो रही है।


पराली का योगदान

IIT पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के अनुसार, रविवार को दिल्ली की हवा में पराली का योगदान केवल 1.39 प्रतिशत था, जबकि शनिवार को यह 2.66 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि प्रदूषण की असली वजह स्थानीय स्तर पर धुआं, धूल, ठंडी हवा की कमी और धीमी हवाएं हैं।