दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम: नई नियमावली लागू
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में जहरीली हवा के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। दिसंबर के मध्य में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंचने के बाद प्रशासन ने कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया है। इसका सीधा प्रभाव आम जनता की दिनचर्या पर पड़ने वाला है।
सरकार का कहना है कि ये निर्णय लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं। हालांकि, नियम सख्त हैं, लेकिन आवश्यक सेवाओं को इससे अलग रखा गया है ताकि जनजीवन पर अधिक प्रभाव न पड़े।
सख्त नियमों का कारण
13 दिसंबर से लगातार तीन दिनों तक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। इसी के चलते वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की सिफारिश पर GRAP-4 के कड़े प्रतिबंध लागू किए गए। इन उपायों का उद्देश्य प्रदूषण के स्रोतों को सीमित करना और हवा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
घर से काम करने का निर्देश
नए नियमों के अनुसार, सरकारी और निजी संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि कम से कम 50 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम करें। इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होगी और प्रदूषण के स्तर पर दबाव घटेगा। हालांकि, आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को इस आदेश से बाहर रखा गया है।
पीयूसी अनिवार्यता और ईंधन नियम
दिल्ली सरकार ने बिना वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र वाले वाहनों के लिए नो फ्यूल नियम लागू किया है। पेट्रोल पंपों पर ऐसे वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती करना है।
किसे मिली छूट?
एम्बुलेंस, दमकल गाड़ियां, पुलिस वाहन और अन्य आपातकालीन सेवाएं इन प्रतिबंधों से मुक्त रहेंगी। अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारी, अग्निशमन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े अधिकारी भी घर से काम करने के आदेश से बाहर होंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
वर्तमान AQI और स्थिति
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, बुधवार शाम तक दिल्ली का औसत AQI 334 दर्ज किया गया, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा उपायों के असर दिखाने में समय लगेगा और फिलहाल लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
