दिल्ली में भूमि धंसाव का संकट: 17 लाख लोगों की जान खतरे में
                           
                        नई दिल्ली में भूमि धंसाव की गंभीरता
नई दिल्ली: हाल ही में आई एक शोध रिपोर्ट ने दिल्लीवासियों में चिंता बढ़ा दी है। इस अध्ययन के अनुसार, 17 लाख लोग अब एक नए पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहे हैं। दिल्ली, जो पहले से ही वायु प्रदूषण, जल संकट और गर्मी से प्रभावित है, अब भूमि धंसाव के खतरे में है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में बताया गया है कि दिल्ली की भूमि हर साल 51 मिलीमीटर तक धंस रही है, जिससे 17 लाख से अधिक लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2,264 इमारतें पहले से ही उच्च संरचनात्मक जोखिम की श्रेणी में आ चुकी हैं।
यह रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है “Building Damage Risk in Sinking Indian Megacities”, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, वर्जीनिया टेक और संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई है। अध्ययन में 2015 से 2023 तक के उपग्रह डेटा का विश्लेषण किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हुआ है कि दिल्ली में भूमि धंसने की गति चिंताजनक स्तर तक बढ़ गई है।
खतरे में इमारतें और क्षेत्र
अध्ययन के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख महानगरों में भूमि धंसाव का खतरा बढ़ रहा है। दिल्ली इस सूची में तीसरे स्थान पर है, जहां 196.27 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इस संकट से प्रभावित है। मुंबई और कोलकाता इससे आगे हैं।
एनसीआर के कुछ हिस्सों में स्थिति और भी गंभीर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि फरीदाबाद में भूमि प्रति वर्ष 38.2 मिलीमीटर, बिजवासन में 28.5 मिलीमीटर और गाजियाबाद में 20.7 मिलीमीटर की दर से धंस रही है।
भूमि धंसाव के कारण
शोधकर्ताओं ने भूमि धंसाव के तीन मुख्य कारणों की पहचान की है:
- भूजल का अत्यधिक दोहन: दिल्ली में हर साल लाखों लीटर भूजल निकाला जा रहा है, जिससे भूमिगत जल स्तर गिर रहा है।
 - मानसून की अनियमितता: वर्षा के पैटर्न में बदलाव ने भूजल पुनर्भरण की प्रक्रिया को प्रभावित किया है।
 - जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान और मौसम की चरम स्थितियों ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
 
भविष्य की चुनौतियाँ
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह स्थिति जारी रही, तो दिल्ली और एनसीआर में 17 लाख से अधिक लोग खतरे में होंगे। कई इमारतों की नींव कमजोर हो सकती है, और सड़कें दरक सकती हैं।
उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि एक मानकीकृत और डिजिटल डेटाबेस तैयार किया जाए ताकि समय पर नीतिगत निर्णय लिए जा सकें।
तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता
दिल्ली पहले से ही कई पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रही है। ऐसे में भूमि धंसाव का खतरा स्थिति को और जटिल बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भूजल प्रबंधन के लिए सख्त नीतियों की आवश्यकता है।
इसके अलावा, निर्माण कार्यों में भूगर्भीय सर्वेक्षण को अनिवार्य करना और धंसाव-प्रवण क्षेत्रों में नई इमारतों के निर्माण पर सख्त नियम लागू करना आवश्यक है। यदि अब भी कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दशकों में दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा सचमुच जमीन में समा सकता है।
