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दिल्ली में वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा: विशेषज्ञों की चेतावनी

दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संभव हो, तो लोगों को दिल्ली छोड़ने की सलाह दी गई है। हाल के दिनों में श्वांस रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, और वायु प्रदूषण के कारण बच्चों के फेफड़ों की वृद्धि रुकने का खतरा है। COPD और लंग कैंसर के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। जानें इस स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।
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दिल्ली में वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा: विशेषज्ञों की चेतावनी

दिल्ली छोड़ने की सलाह


यदि आप अपनी और अपने बच्चों की सेहत की परवाह करते हैं, तो विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि आपको दिल्ली को 6 से 8 हफ्तों के लिए छोड़ देना चाहिए। यह चेतावनी देश के प्रमुख पल्मोनोलॉजिस्ट द्वारा दी गई है।


दिल्ली का AQI खतरनाक स्तर पर

दिल्ली की वायु गुणवत्ता में हालात बेहद खराब हो गए हैं। शुक्रवार (30 अक्टूबर) को AQI 301-400 के बीच पहुंच गया, जो इस वर्ष का सबसे प्रदूषित दिन माना जा रहा है।


श्वांस रोगियों की संख्या में वृद्धि

प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ, दिल्ली में श्वांस रोगियों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। PSRI इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. गोपी चंद खिलनानी ने बताया कि पिछले 10 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में श्वांस रोगियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।


दिल्ली छोड़ने की सलाह

डॉ. खिलनानी ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण गंभीर वायरल और बैक्टीरियल न्यूमोनिया के मामले बढ़ सकते हैं, जिससे मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है। उन्होंने सलाह दी कि जो लोग सांस की समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें दिसंबर के मध्य या अंत तक दिल्ली छोड़ने का प्रयास करना चाहिए।


वायु प्रदूषण का दीर्घकालिक प्रभाव

उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का हमारे फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। AIIMS के अध्ययन में यह सामने आया है कि वायु प्रदूषण के कारण बच्चों के फेफड़ों की वृद्धि रुक जाती है। इस क्षेत्र में अस्थमा के मामलों की दर एक-तिहाई है, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह 5-10% है।


COPD के मामलों में वृद्धि

30-40 साल की उम्र के लोगों में 90% क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के मामले तंबाकू या धूम्रपान के कारण होते हैं। डॉ. खिलनानी ने बताया कि वर्तमान में COPD के 50% मामले बाहरी और आंतरिक प्रदूषण के कारण हो रहे हैं।


धूम्रपान न करने वालों में लंग कैंसर के मामले

डॉ. खिलनानी ने बताया कि पहले फेफड़ों के कैंसर के 80% से अधिक मामले धूम्रपान के कारण होते थे, लेकिन अब 40% ऐसे लोग भी लंग कैंसर का शिकार हो रहे हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। नए मरीजों में लंग कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है।