देहरादून में वायु गुणवत्ता में गिरावट, पर्यटकों के लिए चिंता का विषय
वायु प्रदूषण से प्रभावित देहरादून
देहरादून: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और कोहरे के कारण आम जनजीवन पहले ही बुरी तरह प्रभावित है. हालात ऐसे बन गए हैं कि स्कूलों को बार-बार बंद करना पड़ रहा है और लोगों को अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग साफ हवा की तलाश में पहाड़ी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचने वाले कई लोगों को इस बार निराशा हाथ लग रही है, क्योंकि वहां भी हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है.
देहरादून की हवा की स्थिति
पिछले कुछ दिनों से देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 'खराब' श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है. प्रदूषण पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, बुधवार को देहरादून का रियल-टाइम AQI 260 से 300 के बीच रहा. खास बात यह है कि शाम ढलते ही हवा की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई. दून विश्वविद्यालय के प्रदूषण निगरानी केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर विजय श्रीधर के अनुसार, दिन के समय हवा का औसत AQI करीब 291 तक पहुंच गया था, जो इसे 'प्रदूषित' और 'अत्यधिक प्रदूषित' के बीच की स्थिति में ले जाता है.
रात में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता
प्रोफेसर श्रीधर का कहना है कि दिन में हल्की हवा चलने से प्रदूषण कुछ हद तक कम हो जाता है, लेकिन रात होते ही स्थिति बिगड़ जाती है. कई इलाकों में रात के समय AQI 300 से ऊपर चला जाता है. हालांकि, देहरादून की हवा अभी दिल्ली जितनी खराब नहीं है, लेकिन इसे सुरक्षित या संतोषजनक भी नहीं कहा जा सकता. यह स्थिति उन लोगों के लिए चिंता का विषय है, जो स्वास्थ्य कारणों से पहाड़ों की ओर आते हैं.
AQI 300 के पार
उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में भी हवा धीरे-धीरे जहरीली होती जा रही है. देहरादून, जिसे आमतौर पर स्वच्छ हवा और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, वहां हालात सबसे ज्यादा खराब नजर आ रहे हैं. नए साल से पहले ही यहां की हवा लोगों की सांसों पर भारी पड़ने लगी है. दिसंबर के महीने में कई बार AQI 300 के पार चला गया, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद गंभीर श्रेणी में आता है.
दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा
बुधवार को देहरादून का AQI करीब 273 दर्ज किया गया, जबकि इससे पहले सोमवार रात को यह आंकड़ा 300 से ऊपर पहुंच गया था. इसी दौरान PM 2.5 का स्तर 191 और PM10 का स्तर 253 रिकॉर्ड किया गया. ये आंकड़े बताते हैं कि हवा में बेहद सूक्ष्म और खतरनाक कण बड़ी मात्रा में मौजूद हैं, जो फेफड़ों और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं.
देहरादून की स्थिति
आमतौर पर देहरादून को साफ हवा और सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है. हर साल दिसंबर और नए साल के आसपास यहां पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ जाती है. मसूरी जैसे हिल स्टेशन जाने वाले अधिकतर सैलानी देहरादून से होकर ही गुजरते हैं. लेकिन इस बार हालात उलट हैं. दिसंबर की शुरुआत में ही AQI 300 के पार चला गया था. बीच में कुछ दिनों के लिए स्थिति में हल्का सुधार जरूर हुआ, लेकिन अब फिर से हवा की गुणवत्ता 200 से ऊपर पहुंच चुकी है और कई बार 300 के करीब दर्ज की जा रही है.
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे मौसम की बड़ी भूमिका है. इस समय वातावरण में स्थिरता बनी हुई है, जिससे हवा ऊपर की ओर नहीं उठ पा रही और प्रदूषक तत्व शहर में ही फंसे हुए हैं. इसके अलावा लंबे समय से बारिश न होने के कारण धूल और प्रदूषण के कण जमीन पर बैठ नहीं पा रहे, जिससे हवा और ज्यादा खराब हो रही है.
हानिकारक गैसों का मिश्रण
पर्यावरण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नए साल से पहले बढ़ती पर्यटक गतिविधियां भी प्रदूषण का कारण बन रही हैं. कैंप फायर, अलाव, कोयले की भट्टियों और खुले में खाना पकाने जैसी गतिविधियों से धुआं और हानिकारक गैसें हवा में घुल रही हैं. इससे शहर की हवा पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है.
लोगों को जागरूक किया जा रहा है
प्रशासन की ओर से लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. विभिन्न अभियानों के जरिए बताया जा रहा है कि रोजमर्रा की कौन-सी आदतें पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं और इसका स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक लोग सामूहिक जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक देहरादून की स्वच्छ हवा पर मंडराता खतरा पूरी तरह टल नहीं पाएगा.
