उच्च शिक्षण संस्थानों के विकास में सीएसआर की अहम भूमिका: डॉ. धन सिंह रावत
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देहरादून, 24 फरवरी (हि. स.)। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि देवभूमि उद्यमिता योजना छात्र उद्यमिता का सफल मॉडल है और उच्च शिक्षण संस्थानों के विकास में सीएसआर की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने यह भी कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों को गोद लेकर उन्हें विकसित किया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार और भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, अहमदाबाद के संयुक्त प्रयास से राज्य में उच्च शिक्षा और उद्यमिता विकास के लिए कॉर्पाेरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) की भूमिका पर एक विशेष कार्यशाला मुख्य सचिव सभागार में आयोजित की गई।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने का दायित्व, हम सभी का साझा दायित्व है। राज्य सरकार की ओर से प्रधानमंत्री के इस संकल्प को जन-जन का संकल्प बनाने के लिए कार्य कर रही है। मंत्री ने उच्च शिक्षा में समावेशी विकास के लिए वंचित वर्ग और समूहों पर विशेष ध्यान का आह्वान किया।
मंत्री उच्च शिक्षा ने सीएसआर के माध्यम से दूरथ क्षेत्र के महाविद्यालयों और संस्थाओं को गोद लेकर विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देवभूमि उद्यमिता योजना विद्यार्थी उद्यमिता का पहला, अनूठा और सबसे सफल माॅडल है। उन्होंने सभी सीएसआर संगठनों से राज्य के विकास की दिशा में उच्च शिक्षा विभाग के साथ जुड़कर कार्य करने का आह्वान किया।
कार्यशाला में सचिव, उच्च शिक्षा डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि संस्थागत विकास के लिए भागीदारी और सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार की दृष्टि और प्रयासों के साथ सामाजिक विकास के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सीएसआर फंडिंग महत्वपूर्ण है जो मिसिंग लिंक्स को जोड़ने का कार्य करती है।
डाॅ. सिन्हा ने कहा कि सामाजिक विकास में सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है। आइडिया को प्रोडक्ट में बदलने के लिए संस्थाओं को विशेष भूमिका निभानी होगी।
इस अवसर पर सीएसआर, सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड सरकार मनमोहन मैनाली ने कहा कि उद्योगों की सप्लाई चेन के रूप में कार्य कर रही है उच्च शिक्षा विभाग की देवभूमि उद्यमिता योजना। इस तरह के प्रयास सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसके लिए सरकार की समस्त इकाईयां एक यूनिट की तरह काम कर रही हैं।
इस कार्यशाला में डॉ. रमन गुजराल, निदेशक (कॉर्पाेरेट परियोजनाएं), भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, अहमदाबाद ने उद्यमिता शिक्षा और सीएसआर के योगदान पर चर्चा की।
डॉ. अमित कुमार द्विवेदी, निदेशक (सरकारी परियोजनाएं), भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, अहमदाबाद ने राज्य में चल रही देवभूमि उद्यमिता योजना पर एक विशेष प्रस्तुति देते हुए सीएसआर सहयोग की संभावनओं और आवश्यकता को रेखांकित किया।
कार्यशाला के दौरान सीएसआर और उच्च शिक्षा में सहयोग को लेकर एक खुली परिचर्चा भी आयोजित की गई। इसमें सीएसआर के माध्यम से शैक्षिक संस्थानों में शोध एवं बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने, कॉरपोरेट और शिक्षण संस्थानों के बीच साझेदारी, जिससे कौशल विकास कार्यक्रम एवं स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिले और सीएसआर निधियों का उपयोग स्टूडेंट स्टार्टअप्स व देवभूमि उद्यमिता योजना जैसी पहलों के लिए किये जाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
कार्यशाला में रेल विकास निगम लिमिटेड के डीजीएम ओपी मालगुड़ी, नाबार्ड के डीजीएम भूपेन्द्र कुमार, संयुक्त राष्ट्र आधारित मल्टी लेटरल एजेन्सी से आदर्श कालिया, भारतीय स्टेट बैंक के एजीएम पारितोष रायजादा, आईडीबीआई से गौतम राज छिब्बर, एक्साइड इण्डस्ट्री से धूम जिन्दल, एचडीएफसी से सीएसआर हेड जेसिका, क्लस्टर हेड विद्याकान्त मिश्रा, एनसीडीसी से अमित कुमार निगम, टीएचडीसी से सोनू चानू, कुशाग्र मिश्रा, बजाज ऑटाे से सार्थ भाटिया, केपीएमजी से देवकी नन्दन ने खुली परिचर्चा में अपने संस्थान के योजनाओं के माध्यम से उच्च शिक्षा विभाग के उद्यमिता सहित अन्य पहलों में सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।
कार्यशाला का संचालन ब्योमकेश दूबे, उप सचिव, उच्च शिक्षा ने किया। कार्यशाला के समापन पर उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक, डॉ. अन्जु अग्रवाल ने सभी अतिथियों, सीएसआर प्रतिनिधियों और शैक्षणिक संस्थानों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यशाला में अनु सचिव, दीपक कुमार, संयुक्त निदेशक डाॅ. ए.एस. उनियाल, सहायक निदेशक एवं सीएसआर डाॅ. दीपक कुमार पाण्डेय, अंजनी सिंह, सुमित कुमार सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार