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अगले सात वर्षों में तीन गुना हो जाएगी भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता: जितेंद्र सिंह

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अगले सात वर्षों में तीन गुना हो जाएगी भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता: जितेंद्र सिंह


शिमला, 30 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में देश की स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 8180 मेगावाट है। अगले सात वर्षों में यह बढ़कर तीन गुनी हो जाएगी। वर्ष 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता 8180 मेगावाट से बढ़कर 22480 मेगावाट हो जाएगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार के सवाल के लिखित जवाब में संसद में यह जानकारी दी। 2070 तक भारत के नेट जीरो ऊर्जा संक्रमण पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विभिन्न अध्ययनों ने 2047 तक 1 लाख मेगावाट की राष्ट्रीय परमाणु क्षमता की आवश्यकता का अनुमान लगाया है और उन अध्ययनों की सिफारिशों को भविष्य में अपनाने की संभावना के लिए देखा जा रहा है।

सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री से सवाल किया था कि क्या सरकार ने वर्ष 2047 तक लगभग 100 गीगावाट परमाणु क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने की अभिकल्पना की है ? क्या सरकार ने हिमाचल प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा के समेकन में सहायता करने हेतु परमाणु ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्त्रोतों के लिए भंडारण सहित पर्याप्त अवसंरचना निर्माण के लिए कोई उपाय किए हैं और क्या देशभर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के आधुनिकीकरण के लिए नए अविष्कार किए जा रहे हैं ?

डॉ0 सिकंदर द्वारा पूछे गए प्रश्नो का उत्तर देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ0 जितेन्द्र सिंह ने बताया कि नाभिकीय ऊर्जा, ऊर्जा एक आधार भार स्त्रोत है और ग्रिड में एकीकरण के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं है जैसे ऊर्जा के अस्थायी स्त्रोतों की आवश्यक है। उन्होनें बताया कि अभिकल्प में नवाचार, बेहतर प्रचालन और अभिरक्षण पद्धतियों को अपनाने, उन्नयन के क्रियान्वयन आदि द्वारा मौजूदा नाभिकीय विद्युत संयंत्रों की संरक्षा और प्रचालन निष्पादन को बढ़ाने का प्रयास भारतीय नाभिकीय विद्युत संयंत्रो में एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

डॉ0 सिकंदर ने आगे पूछा कि क्या सरकार परमाणु ऊर्जा केन्द्रों में गैर-सरकारी कंपनियो की भागीदारी के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन करने का विचार रखती है ? क्या सरकार द्वारा कैप्टिव परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए हल्के रिएक्टर का उपयोग करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है ? और क्या सरकार ने परमाणु ऊर्जा जिसे स्वच्छतर्र इंधन माना जाता है जिसकी भारत के निवल शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने की महत्वकांक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका है, को बढ़ावा देने के लिए कोई पहल की है ?

इन प्रश्नो को उत्तर देते हुए डॉ0 जितेन्द्र सिंह ने बताया कि नाभिकीय विद्युत परियोजनाएं स्थापित करने में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के साथ एनपीसीआईएल के संयुक्त उद्यमों को सक्षम करने हेतु सरकार ने परमाणु ऊर्जा अधिनियम 2015 में संशोधन किया है। उन्होनें बताया कि स्व-उत्पाद(कैप्टिव) विद्युत उत्पादन में संभावित उपयोग के लिए साधारण जल रिएक्टर प्रौद्योगिकी पर आधारित एक भारत लघु मॉडयूलर रिएक्टर विकसित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने का विचार रखती है और इसकी पहल हो चुकी है।

डॉ0 सिकंदर ने बताया कि केन्द्र सरकार देश के समग्र विकास के लिए कृत संकल्पित है और विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रही है जिससे देश का शीघ्र ही विकसित राष्ट्र का सपना साकार होता दिखाई दे रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा