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नशा सर्वनाश का द्वार, शरीर रोगी और बुद्धि का होता है नाश : डॉ. कमलेश

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नशा सर्वनाश का द्वार, शरीर रोगी और बुद्धि का होता है नाश : डॉ. कमलेश


- बस्तर संभाग के शैक्षणिक संस्थाओं को तम्बाकू मुक्त करने आयोजित हुई कार्यशाला

जगदलपुर, 5 सितंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा राज्य में निरंतर तम्बाकू नियंत्रण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

संचालक स्वास्थ्य सेवाए ऋतुराज रघुवंशी तथा आयुक्त बस्तर संभाग डोमन सिंह के निर्देश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा ब्लूमबर्ग परियोजना छग. के संयुक्त तत्वाधान में आज गुरूवार काे बस्तर संभाग अंतर्गत समस्त जिलों के शिक्षा विभाग के जिला नोडल अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी तथा खण्ड स्त्रोत समन्वयकों के लिए जगदलपुर में एक दिवसीय संभाग स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

प्रशिक्षण के प्रारंभ में उप संचालक शिक्षा श्रीमति मधु वर्मा द्वारा जिला स्तर पर तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्था के दिशा अनुरुप यथाशीघ्र कार्यवाही हेतु सभी को निर्देशित किया गया। जिला शिक्षा अधिकारी बी. आर. बघेल द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं में जागरुकता कार्यक्रमों के आयोजन करते हुये तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में बेहतर प्रयास करने के सुझाव दिये गये।

इस प्रशिक्षण में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन भी ऑनलाईन माध्यम से उपस्थित हुये और राज्य स्तर मेें तम्बाकू नियंत्रण हेतु किये जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की।

पं. जवाहरलाल स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नेहा सिंग ने भी ऑनलाईन माध्यम से जुड़ कर तम्बाकू के हानीकारक प्रभावों के सबंध में किये गये अध्ययन की जानकारी साझा की।

स्व. बलीराम स्मृति शा. चिकित्सा महाविद्यालय के प्रदर्शक मेडिसीन विभाग डॉ. कमलेश इजारदार ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते कहा कि नशा आतंकवाद से अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है। आतंकवादी कभी-कभी कुछ लोगों पर हमला करते हैं लेकिन नशा लाखों लोगों को अकाल मौत का शिकार बनाता है। उन्होंने कहा कि नशा सज्जन व्यक्ति को भी शैतान बना देता है युवा पीढ़ी खोकली हो जाती है। तो देश की एकता अखंडता खतरे में पड़ जाएगी। बस्तर में धड़ल्ले से बढ़ रहे नशे को तत्काल रोकना आवश्यक हो गया है क्योंकि नशे का दुष्प्रभाव इंसान के साथ पशु पौधे और पूरी प्रकृति पर पड़ता है। नशे की चपेट में बस्तर की हरियाली भी खतरे में पड़ रही है। क्योंकि नशीली पदार्थों के पैकेट नॉन रीसाइक्लेबल होते हैं और इनका बायोडिग्रेडेबल अधिक होता है जिसकी वजह से जल और वायु प्रदूषण का खतरा हमेशा बना रहता है । सरकार के द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र (टीसीसी सेंटर) टोबैको सीजेशन सेंटर एक बहुत ही अच्छा कारगर कदम है, जिसके माध्यम से लोगों को तंबाकू की लत से छुड़वाने हेतु काउंसलिंग किया जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे