हिमाचल में नशे का प्रकोप भयंकर, बने सख्त कानून : पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार
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पालमपुर, 24 फ़रवरी (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश में नशे के प्रकोप को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि नशे की समस्या अब भयावह स्थिति में पहुंच चुकी है और राज्य की युवा पीढ़ी इससे पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। शांता कुमार ने कह है कि नई तकनीकी और मोबाइल फोन ने समाज की स्थिति को और बिगाड़ दिया है जिससे बच्चों का बचपन लगभग समाप्त हो गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने साेमवार काे एक बयान में कहा कि नशे के व्यापार में अब डाक्टर, तहसील कल्याण अधिकारी, पटवारी और महिला वकील तक पकड़े जा चुके हैं। नशे के मामलों में सजा बहुत कम हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में लगभग 6 लाख लोग नशे के मामलों में पकड़े गए लेकिन इनमें से केवल 6 हजार को सजा मिली जबकि 5.94 लाख आरोपितों को छोड़ दिया गया और वे फिर से इस अवैध काम में शामिल हो गए हैं।
शांता कुमार ने सरकार और समाज के बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे इस गंभीर समस्या पर गहरी सोच-विचार करें और सख्त कानून बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि नशे के बड़े कारोबारियों को उम्रभर की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए और हर विभाग में नई भर्ती के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य किया जाए।
शांता कुमार ने एक विद्वान के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि कानून हत्यारों को फांसी दे सकता है लेकिन नशे की समस्या से निपटने के लिए कानून लोगों में अच्छाई की भावना नहीं पैदा कर सकता। यह कार्य केवल परिवार, समाज और सरकार द्वारा मिलकर किया जा सकता है जो अब लगभग समाप्त हो गया है। आजकल बच्चों को मोबाइल मिलने पर वे अपने माता-पिता या बुजुर्गों के पास बैठने को तैयार नहीं होते।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस समस्या से निपटने के लिए योग और नैतिक शिक्षा को प्राथमिक विद्यालय से लेकर कॉलेज तक अनिवार्य विषय बनाया जाए। इसके लिए एक विद्वान कमेटी बनाई जाए जो तय करे कि किस कक्षा में कब और क्या स्लेबस होना चाहिए। शांता कुमार ने कहा कि स्थिति अब बहुत गंभीर हो गई है और पानी सिर से ऊपर चला गया है इसलिए सरकार को इस पर गंभीरता से विचार कर सख्त कानून बनाने चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला