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सूरत में करोड़ों रुपये की जमीन घोटाले में आईएएस आयुष ओक निलंबित

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सूरत में करोड़ों रुपये की जमीन घोटाले में आईएएस आयुष ओक निलंबित
सूरत में करोड़ों रुपये की जमीन घोटाले में आईएएस आयुष ओक निलंबित


-बदली के एक दिन पहले ही किया था ऑर्डर

-सूरत का कलेक्टर रहते ओक पर लगा था जमीन घोटाले का आरोप

अहमदाबाद, 10 जून (हि.स.)। सूरत के डूमस में हुए करीब 2000 करोड़ रुपये की जमीन घोटाले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आईएएस आयुष ओक को निलंबित कर दिया है। वे अभी वलसाड कलेक्टर के तौर पर कार्यरत थे। सूरत के कलेक्टर रहते उन पर डूमस में जमीन घोटाले का आरोप लगा था, जिसके बाद राजस्व विभाग स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच कर रहा था।

लोकसभा चुनाव के समय राज्य में बड़े पैमाने पर बदली की गई थी। इसी दौरान सूरत के तत्कालीन कलक्टर आयुष ओक को वलसाड तबादला किया गया था। आयुष ओक पर आरोप था कि उन्होंने अपनी बदली से पहले कई विवादित ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए थे। आयुष ओक पर यह भी आरोप लगे थे कि उन्होंने सरकारी जमीन बिल्डरों को दिए थे। बाद में इस मामले की शिकायत मिलने पर इसकी जांच शुरू हुई थी।

जानकारी के अनुसार सूरत के डूमस गांव के सर्वे नंबर 311/3 वाली 2,17,216 वर्ग मीटर जमीन सरकारी गैर परती जमीन के रूप में वर्ष 1948-49 से दर्ज थी। सरकारी जमीन होने के बावजूद इसके कब्जेदार के रूप में कृष्णमुखलाल भगवानदास का नाम गणोतिया के रूप में नोट नंबर 582 के अंतर्गत दर्ज किया गया था। सरकारी जमीन को गणोतिया के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता है, जिससे यह गड़बड़ी सामने आई थी। इसके अलावा अन्य जमीन के मामले में मूल दस्तावेज से छेड़छाड़ करने का भी मामले सामने आया। जमीन के विवादित मामलों में बदली से एक दिन पूर्व ऑर्डर करने पर उनकी संदिग्ध भूमिका सामने आई थी।

जानकारी के अनुसार यह विवादित जमीन समय-समय पर कई लोगों को बेचा भी गया था। इसके बाद जमीन को नॉन एग्रीकल्चर (एनए) करने के लिए कलक्टर के समक्ष फाइल लाई गई थी। इस वक्त जांच में पता चला कि सरकारी जमीन होने की वजह से इसका एनए नहीं हो सकता है। इसके विरुद्ध मार्च, 2009 में गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने गणोतधारा के तहत किसान को जमीन दी गई है या नहीं इसकी जांच का आदेश दिया था। जांच में पता चला कि जमीन सरकारी है और इसकी बंदरबांट करने के लिए षडयंत्रपूर्वक काम किया गया है। इस समग्र मुद्दे पर सिटी प्रांत ने जून, 2015 में रिपोर्ट दी। इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए तत्कालीन सूरत कलक्टर आयुष ओक ने 29 जनवरी, 2024 को अपनी बदली के एक दिन पहले ही विवादित ऑर्डर दिया था।

हिन्दुस्थान समाचार/बिनोद/आकाश