आर्य समाज में ऋषि बोधोत्सव : जीवन को वेद ज्ञान से करना होगा सुशोभित : आर्य
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जोधपुर, 26 फरवरी (हि.स.)। ऋषि बोधोत्सव पर संकल्प लेना होगा कि हम अपने जीवन को वेद ज्ञान से सुशोभित और सुरभित करेंगे। महाशिवरात्रि के पावन दिन ही महर्षि दयानंद सरस्वती ने सच्चे शिव की तलाश करने का संकल्प लेकर ऋषि मुनियों की संगत की और वेदों के वास्तविक स्वरूप से लोगों को रूबरू कराया। यह विचार वैदिक विद्वान डॉ. रामदयाल आर्य ने महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आर्य समाज शास्त्री नगर द्वारा ऋषि बोधोत्सव महोत्सव के आयोजन पर व्यक्त किए।
आर्य समाज शास्त्री नगर के प्रधान जुगराज बालोत ने बताया कि महाशिवरात्रि और महर्षि दयानंद सरस्वती के बोधोत्सव पर आर्य समाज भवन में विशेष वैदिक मंत्रों से यज्ञ व पूजन कार्यक्रम का आयोजन डॉ. रामदयाल आर्य के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से हुआ। यजमान सुधांशु टाक और मीना टाक रहे।
इस अवसर पर दीक्षा प्रजापति ने कहा कि किसी भी चीज को जानना और मानना दो अलग-अलग विषय है। बिना जाने किसी भी चीज को मान लेने के कोई मायने नहीं है।
उन्होंने बताया कि बिना जाने मान ली गई वस्तु कष्टदाई होती है। आज लोगों ने विद्वानों की संगत करना छोड़ दिया है। इसी कारण लोग गलत और सही में फर्क नहीं कर पा रहे हैं। तर्क वितर्क से ज्ञान बढ़ता है जो व्यक्ति शंका समाधान नहीं करता उसके ज्ञान में कभी भी बढ़ोतरी नहीं हो सकती। इस अवसर पर सुनीता प्रजापति, महेंद्र प्रजापति, प्रियांशु सहित अनेक आर्यजन उपस्थित थे। समारोह का संयोजन घनश्याम आर्य ने किया। मंत्री सुधांशु टाक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश