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मप्रः हाईकोर्ट ने नर्मदा नदी के किनारे हुए अवैध निर्माण को दिए गाइड लाइन पेश करने के निर्देश

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जबलपुर, 20 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में हुए अवैध निर्माण को चुनौती देने याचिका की सुनवाई करते हुए नर्मदा नदी प्रदेश के जिन जिलों से निकलती है, उसके संबंध में जिला प्रशासन द्वारा शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लिए गाइड लाइन पेश करने के आदेश दिए हैं।

उच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमठ तथा न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ में याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की तरफ से रिपोर्ट पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई फरवरी महीने के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है।

गौरतलब है कि दयोदय सेवा केन्द्र द्वारा नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में अवैध रूप से निर्माण कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए नर्मदा मिशन की ओर से जबलपुर स्थित उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। वहीं, पूर्व मंत्री व भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे द्वारा डिंडौरी में बिना अनुमति नर्मदा नदी के लगभग पचास मीटर के दायरे में बहु मंजिला मकान बनाये जाने को भी चुनौती दी गई थी। इसके अलावा एक अवमानना याचिका सहित तीन अन्य संबंधित मामले को लेकर याचिकाएं दायर की गई थी।

मामले की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि जबलपुर में साल 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीस सौ मीटर दायरे में तिलवाराघाट, ग्वारीघाट, जिलहेरीघाट, रमनगरा, गोपालपुर, दलपतपुर, भेड़ाघाट में कुल 75 अतिक्रमण पाये गये हैं। इसमें से 41 निजी भूमि, 31 शासकीय भूमि तथा तीन आबादी भूमि में पाये गये हैं।

याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि नदी के अधिकतम जलभराव क्षेत्र से तीन सौ मीटर दूरी निर्धारित है। सरकार की तरफ से टाउन एंड कंट्री के नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए कहा गया कि रिवर बेल्ट से तीन सौ मीटर निर्धारित है। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश जवाब की प्रति पक्षकारों को प्रदान करने के निर्देश जारी करते हुए आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश चंद्र तथा अधिवक्ता सौरभ कुमार तिवारी ने पैरवी की।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश