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छतरपुर: नरवाई में आग को लेकर दमोह में सक्रियता तो छतरपुर निष्क्रिय

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छतरपुर: नरवाई में आग को लेकर दमोह में सक्रियता तो छतरपुर निष्क्रिय
छतरपुर: नरवाई में आग को लेकर दमोह में सक्रियता तो छतरपुर निष्क्रिय


छतरपुर: नरवाई में आग को लेकर दमोह में सक्रियता तो छतरपुर निष्क्रिय


छतरपुर, 16 मई (हि.स.)। छतरपुर में खेतों में वची नरवाई को आग लगाने से रोकथात करने लगातार निष्क्रियता देखी जा रही है साथ वनों क्षेत्र में निजी स्वार्थ के चलते बडे पैमाने पर आग लगाकर अप्रत्याषित क्षति पहुंचाई जा रही है। इस संवेदनशील विषय को लेकर छतरपुर जिले की सीमा से लगे दमोह जिले के विभिन्न विकासखण्ड में खेतों में पडी नरवाई को आग के हवाले करने से रोकने के लिए विषेष अभियान चलाकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है बहीं दूसरी ओर छतरपुर के हालात चिंताजनक बताए जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि नरवाई और जंगलों में आग लगाने को लेकर प्रमुखता से खबरों का प्रकाशन किया जाता रहा है। जिसके बाद छतरपुर के बक्स्वाहा विकासखण्ड से सटे बटियागढ के सिहेरा ,हटा के मुहरई गांब के अलावा दमोह ब्लाक के इमलियाघाट,पथरिया के बांसाकला,पटेरा के देवरीरतन, जवेरा के सिंग्रामपुरा और तेंदूखेडा के हरईपांजी ग्राम में नरवाई को खेतों में ना जलाने और नरवाई से जैबिक खाद् बनाने प्रशिक्षण दिया गया है। सभी स्थानों पर कृषि यंत्रों में चौपर,रेकर,बेलर का प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृषि विभाग के उपसंचालक आत्मा परियोजना मुकेश कुमार प्रजापति ने किसानों को बताया कि चौपर का कार्य नरवाई को काटना है। रेकर कटी हुई नरवाई का एकत्रित करता है और बेलर यंत्र से कटी हुई नरवाई के गढ्ढा बनाते हैं। इसके उपरांत एकत्रित की गई नरवाई से जैबिक खाद् तैयार की जा सकती है तथा आर्गेनिक मल्चिंग के उपयोग में भी लाया जा सकता है। उपसंचालक आत्मा के मुताबिक फैक्ट्रीयों में नरवाई का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।

शिकायतकर्ता मिलन यादव निवासी निमानी बक्स्वाहा ने सीएम हेल्पलाईन और एसडीएम राजस्व और वन विभाग रेंजर से नरवाई और वनों में आग लगाने को लेकर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की मांग की थी लेकिन छतरपुर जिले के प्रशासनिक अफसरों का रवैया निष्क्रिय बताया गया है। मिलन यादव का आरोप है कि पूर्व में रियो टिन्टों कंपनी ने हीरा उत्खनन के लिए जंगलों को भारी नुकसान पहुंचाया है तथा महुआ का फल बीनने के लिए लोगों ने जंगल में आग लगाकर लाखों पौधों को नष्ट करने का काम किया है लेकिन रोकथाम के नाम पर उच्च पदस्थ अधिकारियों से लेकर पटवारी और बीट गार्ड चुप्पी साधे रहते हैं। गोपालपुरा निवासी प्रमोद मिश्रा,रानीताल निवासी बीरेन्द्र राजपूत,प्रकाश लोधी सहित सैकडों ग्रामीणों ने खेतों में बची नरवाई और वनों में आग को लेकर चिंता व्यक्त की है। खेतों में बची नरवाई में आग ना लगाने के लिए छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर ने एक बैठक कर रोकथाम के निर्देश दिए थे लेकिन जमीनी स्तर पर डीएम के आदेश का पालन नहीं हो सका है। कृषि विभाग के उपसंचालक छतरपुर एसके पटेल का कहना है कि दण्डात्मक कार्यवाही करने का अधिकार राजस्व अधिकारियों को है। हमारे कृषि अमले को कोई कार्यवाही करने का अधिकारी नही है। ग्रामसेवकों से जागरूकता के लिए कहा गया था लेकिन चुनाव के चलते अभियान गतिशीलता से नहीं हो सका है। वन क्षेत्र में आगजनी, वन भूमि मे अतिक्रमण कर कृषि करने योग्य बनाने,पेड की कटाई करने जैसे विषयों पर बात कर अभिमत लेने के लिए डीएफओ छतरपुर के मोबाईल क्रमांक 9424791051 सम्पर्क करने की कोशिश की गई लेकिन सामान्य वन मण्डल अधिकारी छतरपुर का शासकीय मोबाईल लगातार स्पीच ऑफ बताया गया है। वन सम्पदा और खेतों में पडी नरवाई में आग लगने से भले ही पर्यावरण असंतुलन की स्थिति निर्मित हो अथवा बडे पैमाने पर प्रकृति का शोषण चलता रहे। इससे जिम्मेदार अफसरों को कोई फर्क पडता नहीं दिख रहा है ना ही रोकथाम हेतु प्रयास अमल में लाने की कोई कार्ययोजना सामने आ रही हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/सौरभ भटनागर