नीमच में नशे में धुत पुलिस अधिकारी ने बाइक सवारों को कुचला
नीमच में दिल दहला देने वाली घटना
नीमच: मध्य प्रदेश के नीमच जिले से एक च shocking घटना सामने आई है, जिसमें एक पुलिस उपनिरीक्षक ने नशे की हालत में अपनी बोलेरो कार से कई बाइक सवारों को कुचल दिया।
हादसे में कॉलेज शिक्षक की मौत
इस दुर्घटना में एक कॉलेज शिक्षक की मौके पर ही जान चली गई, जबकि उसका 10 वर्षीय बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया और उसके दोनों पैरों को काटना पड़ा। पुलिस ने आरोपी अधिकारी को गिरफ्तार किया, लेकिन अगले दिन उसे जमानत मिल गई, जिससे स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है।
नशे में वाहन चलाने का मामला
यह घटना शुक्रवार रात नीमच-जावद रोड पर भदभड़िया गांव के पास हुई, जब पुलिस उपनिरीक्षक मनोज यादव ने अपनी बोलेरो से कई दोपहिया वाहनों को टक्कर मारी। बताया गया है कि उस समय यादव नशे में था और तेज गति से गाड़ी चला रहा था। इस हादसे में कॉलेज शिक्षक दशरथ सिंह (42) की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसका बेटा हरशित गंभीर रूप से घायल हुआ।
बेटे की जान बचाने के लिए पैर काटने पड़े
घायल हरशित (10) के दोनों पैरों को डॉक्टरों ने काटना पड़ा ताकि उसकी जान बचाई जा सके। उसकी मां ललिता (35) और बहन जया (6) भी इस हादसे में घायल हुईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि बोलेरो ने कई बाइक सवारों को रौंद दिया और कई वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
पुलिस अधिकारी का निलंबन
हादसे के बाद पुलिस ने आरोपी उपनिरीक्षक मनोज यादव को गिरफ्तार किया और शनिवार को कोर्ट में पेश किया। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह रही कि उसे अगले ही दिन जमानत मिल गई। नीमच के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवल सिंह सिसोदिया ने बताया कि आरोपी को निलंबित कर दिया गया है और मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
परिवार का प्रदर्शन
दशरथ सिंह के परिजनों और ग्रामीणों ने शनिवार को थाने के बाहर प्रदर्शन किया और आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि यादव हादसे के समय पूरी तरह नशे में था और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए। भीड़ ने शिक्षक के परिवार को मुआवजा देने की भी मांग की।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
नीमच के कैंटोनमेंट क्षेत्र की सीएसपी किरण चौहान ने बताया कि आरोपी के खिलाफ लापरवाही से मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि 'अगर आरोपी आम नागरिक होता, तो इतनी जल्दी जमानत नहीं मिलती।'
