मध्य प्रदेश में नक्सली सुनीता का आत्मसमर्पण, सरकार की सख्त नीति का परिणाम
बालाघाट में नक्सली सुनीता का आत्मसमर्पण
बालाघाट: मध्य प्रदेश में नक्सल विरोधी अभियान को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। 14 लाख रुपये का इनाम पाने वाली महिला नक्सली सुनीता ने एक नवंबर को आत्मसमर्पण किया। वह प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति की सदस्य थी और छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में उसकी तलाश की जा रही थी।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नक्सलियों को दी गई सख्त चेतावनी का प्रभाव बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम राज्य में उग्रवाद को समाप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
सुनीता का आत्मसमर्पण
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सुनीता ने मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष नक्सल विरोधी इकाई 'हॉक फोर्स' के सहायक कमांडर रूपेंद्र धुर्वे के सामने बालाघाट में आत्मसमर्पण किया। यह घटना एक नवंबर को हुई। सुनीता लंबे समय से पुलिस के रडार पर थी और उसके सरेंडर को नक्सल विरोधी अभियान की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण शांतिपूर्ण तरीके से हुआ और उसके पास से एक इंसास राइफल भी बरामद की गई।
तीन राज्यों में सक्रियता
सुनीता छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सक्रिय रही है। वह माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति की सदस्य होने के साथ-साथ एनएमसी जोन प्रभारी रामदेर की बॉडीगार्ड भी थी। तीनों राज्यों की पुलिस ने संयुक्त रूप से उस पर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। सुनीता मूल रूप से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगढ़ तहसील के गोमवेटा गांव की निवासी है।
प्रतिबंधित संगठन से संबंध
पुलिस ने बताया कि सुनीता वर्ष 2022 से प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़ी हुई थी। उसने छत्तीसगढ़ के मढ़ इलाके में नक्सली प्रशिक्षण प्राप्त किया था और माओवादी रणनीति, सुरक्षा और प्रचार गतिविधियों में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। हाल के महीनों में सुरक्षा बलों की सख्ती और लगातार ऑपरेशनों के कारण वह अंडर ग्राउंड रह रही थी।
अमित शाह की चेतावनी का प्रभाव
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सुनीता के आत्मसमर्पण को केंद्र सरकार की दृढ़ नीति का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों को स्पष्ट संदेश दिया था- या तो आत्मसमर्पण करें या कार्रवाई का सामना करें। यह सरेंडर उसी चेतावनी का परिणाम है।' मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार उग्रवाद समाप्त करने के लिए 'सख्ती और संवेदनशीलता' दोनों दृष्टिकोण से काम कर रही है।
नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई
मुख्यमंत्री यादव ने बताया कि 'मध्य प्रदेश आत्मसमर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023' के तहत यह पहला आत्मसमर्पण है। उन्होंने कहा कि 1992 के बाद यह पहली बार है जब किसी दूसरे राज्य के नक्सली ने मध्य प्रदेश में सरेंडर किया है। पिछले 10 महीनों में राज्य में कुल 1.46 करोड़ रुपये के इनामी नक्सलियों का सफाया किया जा चुका है। सरकार अब उग्रवाद मुक्त मध्य प्रदेश बनाने के मिशन पर काम कर रही है।
