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अनूपपुर: महाशिवरात्रि विशेष : भोलेनाथ के लिए सज कर तैयार हुई पवित्र नगरी अमरकंटक

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अनूपपुर: महाशिवरात्रि विशेष : भोलेनाथ के लिए सज कर तैयार हुई पवित्र नगरी अमरकंटक


अनूपपुर, 25 फ़रवरी (हि.स.)। महाशिवरात्रि पर्व में पवित्र नगरी अमरकंटक में विशेष आयोजन के लिए तैयार हैं। भगवान भोलेनाथ की की पूजा-अर्चना के साथ ही विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हर वर्ष की तरह पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाएगा। दूर-दूर से श्रद्धालु अमरकंठेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं।

अमरकंटक नर्मदा मंदिर परिसर में अमरकंठेश्वर महादेव का स्वयंभू शिव लिंग स्थित है, जो लोगों की आस्था का प्रतीक है। इसके साथ ही 900 वर्ष पूर्व आदि गुरु शंकराचार्य ने अमरकंठेश्वर महादेव शिवलिंग के समीप मां पार्वती की प्रतिमा की स्थापना की थी। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हुए उनसे वरदान मांगा था कि वह अमरकंटक में ही निवास करें। भोलेनाथ ने उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया था। इसके बाद अमरकंटक को प्रथम कैलाश भी कहा जाता है।

महाशिवरात्रि पर होती है विशेष पूजा अर्चना

नर्मदा मंदिर के पुजारी पंडित धनेश द्विवेदी ने बताया कि महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। शिवरात्रि माता गौरी का विवाह उत्सव भी है इसके कारण यहां नर्मदा स्नान का विशेष महत्व है। देवासुर संग्राम में देवताओं ने राक्षसों का वध किया था जिसके बाद पाप से मुक्ति के लिए उन्होंने नर्मदा स्नान किया था। इस वजह से मां नर्मदा की भूमि में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। 5 दिनों तक यहां महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। महाभिषेक के साथ ही रात्रि जागरण कर पूजा अर्चना की जाती है।

लगाए जाते हैं विभिन्न प्रकार के भोग

महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां भगवान भोलेनाथ को गाय के दूध से बने पेडे का भोग लगाया जाता है इसके साथ ही भांग, धतूरा, लौंग , इलायची, इत्र ,जायफल ,दाल पुष्प एवं आम का पुष्प , बेर, नए गेहूं की बाली, अलसी का पुस्प चढ़ाया जाता है। इस बारे में मंदिर के पुजारी पंडित धनेश द्विवेदी ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर मां नर्मदा में स्नान दान पूजा और भेंट का विशेष महत्व है। नर्मदा स्नान और शिव जी के पूजन से घोर कलयुग से ईश्वर प्राणियों की रक्षा करते हैं।

हजारों वर्ष पुराना है महाशिवरात्रि का मेला

महाशिवरात्रि पर पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मेल हजारों वर्ष पुराना है। वर्ष 1772 में इसे राजकीय संरक्षण मिला था। मंडला के रामपुर रियासत के राजा हृदय शाह गौड़ ने मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रहने और सुरक्षा के लिए सैनिकों की व्यवस्था की थी।

यहां भी पूजा करने के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु

अमरकंटक में अमरकंठेश्वर महादेव के साथ ही ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में भी लोग पूजा अर्चना करने तथा जल अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं। इसी के समीप अमरेश्वर महादेव मंदिर भी है जहां 11 फुट के भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्थापित है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला