राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में 26 से 28 फरवरी तक राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 होगा आयोजित
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अजमेर, 25 फरवरी(हि.स)। राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 का भव्य आयोजन 26 से 28 फरवरी 2025 तक किया जाएगा। इस वर्ष की थीम वैज्ञानिक अनुसंधान एवं नवाचार में भारतीय युवाओं को विकसित भारत के लिए वैश्विक नेतृत्व हेतु सशक्त बनाना है। यह समारोह युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करने और भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है जिसमे व्यापक स्तर पर विभिन्न प्रकार की गतिविधिया और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी 2025) समारोह के मुख्य आकर्षण होंगे- प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा विशेष व्याख्यान, एमएससी और पीएचडी के छात्रों के द्वारा त्वरित शोध प्रस्तुतियाँ, विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा वैज्ञानिक मॉडल प्रस्तुतियां, कला और विज्ञान की प्रस्तुति, पैनल चर्चा, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, वाद-विवाद और अभिनव शोध, विचार जैसी आकर्षक प्रस्तुतियाँ होंगी।
इस अवसर पर एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान, वैज्ञानिक पोस्टर, मॉडल और नवाचारों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस प्रदर्शनी का औपचारिक उद्घाटन कुलपति एवं आमंत्रित मुख्य अतिथि द्वारा किया जाएगा। साथ ही, विजेता प्रतिभागियों को समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के आयोजन के बारे मे राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव ने बताया कि – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और नवाचार को प्रोत्साहित करने का एक अवसर है। साथ ही इस आयोजन के द्वारा विश्वविद्यालय में हम नवाचार, शोध और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते है जिससे राष्ट्र की प्रगति में योगदान दिया जा सके और 'विकसित भारत' के निर्माण में मत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सके।
उन्होंने बताया कि इस तरह के आयोजन को करने के पीछे मुख्य उद्देश्य है युवाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना, उन्हें अन्वेषण और अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करना। विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने सभी छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने वैज्ञानिक विकास के लिए सभी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लें क्योंकि जब छात्र वैज्ञानिक सोच को जीवन में उतारेंगे, तभी वास्तविक प्रगति संभव होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष