यहां गिरी है मां सती की वाम नेत्र की पलकें, सदियों से हो रहा है नवरात्र का आयोजन
चतरा, 2 अक्टूबर (हि.स.)। शारदीय नवरात्र में चतरा जिले के पत्थलगडा प्रखंड स्थित लेंबोईया पहाड़ी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि यहां मां सती के वाम नेत्र की पलके गिरी है। यह स्थल सिद्धपीठ के रूप में चर्चित है। पत्थलगडा के लेंबोईया पहाड़ी स्थित मां दक्षिणेश्वरी देवी चामुंडा मंदिर का इतिहास प्राचीन है। यह स्थल कई रहस्य समेटे हुए हैं। माना जाता है कि जो सच्चे मन से यहां आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। सदियों से लेंबोईया पहाड़ी स्थित पहाड़ी मंदिर में नवरात्र का आयोजन हो रहा है। यह स्थल आस्था का केंद्र है।
मां दक्षिणेश्वरी देवी चामुंडा सदियों से श्रद्धालुओं की मांगी हर मुरादे पूरी कर रही हैं। माना जाता है कि यहां मां सती की वाम नेत्र की पलकें गिरी है। यहां मां के दर्शन मात्र से हैं निराशा के बादल छट जाते हैं। पहाड़ी में मां भगवती की प्राचीन प्रतिमा काले दुर्लभ पत्थरों को तराश कर बनाई गई है। मंदिर परिसर में आठवीं से दसवीं शताब्दी के कई प्राचीन प्रतिमाएं हैं। यहां सोने व चांदी के नेत्र चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मंदिर का इतिहास पुराना है और कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। यहां पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। पत्थलगडा-हजारीबाग मुख्य पथ में प्रखंड कार्यालय से आगे लेंबोईया पहाड़ी में प्राचीन मंदिर है।
मुख्य मंदिर में मां भगवती जिसे दक्षिणेश्वरी चामुंडा भी कहा जाता है के अलावे पहाड़ी में हनुमान जी व नर्मदेश्वर महादेव मंदिर है। पहाड़ी में बरगद पेड़ के नीचे कई प्राचीन प्रतिमाएं भी है। जिनका श्रद्धालु पूजा अर्चना सदियों से करते आ रहे हैं। खासकर शारदीय और वासंतिक नवरात्र में यहां पूजा अर्चना करने और मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। कार्तिक पूर्णिमा में यहां मेले का भी आयोजन होता है। नवरात्र में कलश स्थापित कर मां की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। इस बार भी मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से नवरात्र में विशेष व्यवस्था की गई है। इतिहासकारों का मानना है कि लेंबोईया पहाड़ी में स्थापित प्रतिमाएं पाल कालीन है जो 8-10 वीं शताब्दी की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी