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सोनीपत: सतकुंभा पौराणिक धरोहर का विकास करने की जरुरत:सतपाल ब्रह्मचारी

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सोनीपत: सतकुंभा पौराणिक धरोहर का विकास करने की जरुरत:सतपाल ब्रह्मचारी


-भारतीय संस्कृति

का प्रतीक सतकुंभा भारत की धार्मिक विरासत

-भारत ने दिया है पूरे

विश्व को धर्म का संदेश

सोनीपत, 25 फ़रवरी (हि.स.)। सोनीपत के सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने सतकुंभा तीर्थ के महत्व

पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह तीर्थ भारत की प्राचीन धार्मिक विरासत को संजोए हुए

है। यह स्थल सप्तऋषियों की तपस्थली रही है और मानधाता की राजधानी का स्थान हुआ करता

था। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर का पौराणिक उल्लेख मिलता है, जहां रावण और मंदोदरी

ने भगवान शिव की आराधना की थी। इसलिए सतकुंभा भारत की धार्मिक विरासत है। पौराणिक धरोहर

का विका करने की जरुरत है।

सांसद ने इस तीर्थ स्थल के जीर्णोद्धार पर बल देते हुए कहा

कि हमें अपनी धार्मिक धरोहर को सहेजने की सख्त जरूरत है। उन्होंने सतकुंभा उत्सव के

दौरान शिव स्तोत्र महायज्ञ में आहुति डाली और हरियाणा सरकार से अनुरोध किया कि वह इस

पौराणिक स्थल को संरक्षित करें। उन्होंने कहा कि तीर्थ के विस्तार से हमारी आने वाली

पीढ़ियों को ऋषि-मुनियों की शिक्षाओं को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा।

सासंद सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि भारत ने हमेशा पूरे विश्व

को धर्म, ज्ञान और शांति का संदेश दिया है। भगवद्गीता ऐसा ग्रंथ है, जिसे 1500 से अधिक

तरह से विभिन्न भाषाओं में लिखा गया है। इसके अलावा चार वेदों को विश्व के सबसे प्राचीन

धर्म ग्रंथों के रूप में देखा जा सकता है। सतकुंभा धाम में आयोजित इस भव्य उत्सव के दौरान पीठाधीश्वर

श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी महाराज ने कांग्रेस के सोनीपत से सांसद सतपाल ब्रह्मचारी

का स्वागत किया और उनके धार्मिक आस्था और इस तपस्थली पर आगमन के लिए आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री डॉ. नायब सिंह सैनी की ओर से संतों की जयंती

को प्रदेश स्तर पर मनाना एक सराहनीय कदम है, जो युवाओं को प्रेरित करता है। हरियाणा

कला परिषद रोहतक मंडल के अतिरिक्त निदेशक गजेंद्र फौगाट द्वारा इस उत्सव को सफल बनाने

में कलाकारों की भूमिका को सराहा, कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति और पवित्र विचारधारा

को प्रस्तुत करना अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण है। सतकुंभा धाम में आयोजित

यह उत्सव भारतीय संस्कृति, धर्म और कला का अद्भुत संगम है, जो आने वाली पीढ़ियों को

अपनी प्राचीन विरासत से जोड़ने का कार्य कर रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना