पृथक पूर्वांचल राज्य की मांग को लेकर विंध्यवासिनी दरबार पहुंची पदयात्रा
- सूरत से काशी तक 1250 किमी का सफर तय कर आंदोलनकारियों ने मांगा अलग राज्य का अधिकार
मीरजापुर, 29 नवंबर (हि.स.)। पूर्वांचल राज्य जनांदोलन के तहत सूरत से शुरू हुई पदयात्रा शुक्रवार, 29 नवंबर को 23वें दिन माँ विंध्यवासिनी के दरबार में पहुँची। इस आंदोलन का उद्देश्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के 28 जिलों को अलग कर पृथक पूर्वांचल राज्य का गठन करना है। पदयात्रा का नेतृत्व गुजरात प्रभारी अमित तिवारी और सूरत प्रभारी सुनील मौर्य कर रहे हैं। यात्रा के दौरान उन्होंने हे भोलेनाथ बनवा दो पूर्वांचल राज्य का नारा बुलंद किया।
यह यात्रा सात नवंबर को सूरत से शुरू हुई थी और झाबुआ, उज्जैन, भोपाल, सागर, मैहर, रीवा जैसे स्थानों से गुजरते हुए शुक्रवार को मीरजापुर के विंध्याचल पहुंची। यहां स्थानीय जनता ने आंदोलनकारियों का भव्य स्वागत किया। इस यात्रा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुज राही हिंदुस्तानी और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश पांडेय भी शामिल हुए। इस अवसर पर शैलेश वर्मा, सूबी बानो, उमेश मिश्र, अमल मिश्र और हरवंश पटेल जैसे कई स्थानीय लोग मौजूद रहे।
छोटे राज्यों से तेज विकास की उम्मीद
पदयात्रा के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए अनुज राही ने कहा कि यूपी प्रति व्यक्ति आय में देश में सबसे पीछे है। छोटे राज्यों के गठन से विकास तेज होता है, जैसा कि उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड में देखा गया। संगठन की महासचिव वंदना रघुवंशी ने कहा कि छोटे राज्यों में प्रशासनिक दक्षता बढ़ती है, जिससे कानून व्यवस्था और विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन होता है।
पदयात्रा का समापन काशी में
यह पदयात्रा दो दिसंबर को वाराणसी में बाबा काल भैरव और बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के साथ समाप्त होगी। मीरजापुर में आंदोलन के सह प्रभारी इम्तियाज अहमद और राष्ट्रीय महासचिव वंदना रघुवंशी भी यात्रा में शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा