प्रदेश में यात्री बसों को बिना कंडक्टर व बिना लाइसेंस कंडक्टर के संचालित किए जाने को लेकर लगी जनहित याचिका
बिलासपुर, 5 फ़रवरी (हि.स.)।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई। इस जनहित याचिका' के रूप में प्रस्तुत याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ता विनेश चोपड़ा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से यात्री बसों/स्टेज कैरिज को बिना कंडक्टर/लाइसेंस कंडक्टर के संचालित किए जाने का मुद्दा उठाया है और सरकार को निर्देश जारी करने की मांग की है।
दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य के क्षेत्र में सड़क पर संचालित प्रत्येक पंजीकृत यात्री बस/स्टेज कैरिज में लाइसेंस कंडक्टर की उपस्थिति को संतुष्ट किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में वर्णित लाइसेंस कंडक्टर की भूमिका को भी संतुष्ट करें, क्योंकि यह तथ्य उजागर हुआ है कि वाहन नियम, 1989 के अंतर्गत लाइसेंसधारी कंडक्टर के अलावा कोई अन्य व्यक्ति कंडक्टर के रूप में कार्य नहीं कर सकता है। लाइसेंसधारी कंडक्टर की संख्या आम जनता की सुरक्षा के मद्देनजर पंजीकृत यात्री बस/स्टेज कैरिज के अनुरूप नहीं है।
इसके अलावा याचिका में परिवहन उड़नदस्ते और प्रत्येक जांच बिंदु को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है। जिससे कोई भी स्टेज कैरिज/यात्री बस बिना पंजीकृत/लाइसेंसधारी कंडक्टर के सड़क पर न चले और लाइसेंसधारी कंडक्टर की भूमिका निभाई गई है या नहीं। उच्च न्यायालय की बैंच ने पेश याचिका को वर्तमान मामले में शामिल मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, जवाब दाखिल करने के लिए राज्य अधिवक्ता के माध्यम से शासन को चार सप्ताह का समय दिया है और इसके बाद, याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है। इस मामले को छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Tripathi