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पंजाब की छोटी बच्चियों ने दयालुता की मिसाल पेश की

अमृतसर की दो छोटी बच्चियों, मोक्ष और श्रीनिका ने अपने जन्मदिन पर उपहार मांगने के बजाय बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी कमाई दान कर एक अनोखी मिसाल पेश की। उनकी प्रदर्शनी 'क्रोशिए ऑफ काइंडनेस' ने न केवल कला को, बल्कि मानवता को भी उजागर किया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनकी निःस्वार्थता की सराहना की। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि दयालुता की कोई उम्र नहीं होती और छोटे हाथों में बड़े दिल होते हैं। जानें कैसे ये बच्चियाँ पंजाब के पुनर्निर्माण में योगदान दे रही हैं।
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पंजाब की छोटी बच्चियों ने दयालुता की मिसाल पेश की

अमृतसर की बच्चियों का अनोखा कदम


चंडीगढ़: एक ऐसी उम्र में जहां बच्चे आमतौर पर खिलौनों और मिठाइयों की ख्वाहिश रखते हैं, अमृतसर की दो छोटी बच्चियों ने कुछ अलग करने का निर्णय लिया। केवल 7 साल की मोक्ष सोई और 6 साल की श्रीनिका शर्मा ने अपने जन्मदिन पर उपहार या नई गुड़ियों की मांग नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने क्रोशिया की सुइयों से मेहनत की और धागों के साथ उम्मीदों को बुना।


दयालुता की प्रदर्शनी

इनकी प्रदर्शनी का नाम था 'क्रोशिए ऑफ काइंडनेस' (दयालुता की बुनाई)। यह कला का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि मानवता का प्रतीक था। उनके द्वारा बनाई गई हर रंगीन वस्तु में उनके मासूम दिलों की गर्माहट थी। जब प्रदर्शनी समाप्त हुई, तो इन दोनों ने कुछ ऐसा किया जो बड़ों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी कमाई का हर पैसा दान कर दिया।


मुख्यमंत्री की सराहना

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इन अद्भुत बच्चियों से मुलाकात की और उनकी आंखों में खुशी देखी, जो वे अपने लोगों को समझाना चाहते थे। उन्होंने इनकी निःस्वार्थता की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये पंजाब की असली भावना की प्रतीक हैं। 'जब इतने छोटे बच्चे दूसरों का दर्द समझते हैं और कुछ करते हैं, तो वे हमें सिखाते हैं कि इंसान होने का क्या मतलब है,' उन्होंने कहा और दोनों बच्चियों को आशीर्वाद दिया।


बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद

यह प्रेरणादायक कार्य मिशन चढ़दीकला का हिस्सा है, जो पंजाब के पुनर्निर्माण का संकल्प है। भयंकर बाढ़ ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया। जब बड़े लोग बहस में लगे थे, मोक्ष और श्रीनिका ने काम किया। उन्होंने दुख को देखा और प्यार से जवाब दिया। जिस उम्र में अधिकांश बच्चे नुकसान को समझ नहीं पाते, इन दोनों ने सब कुछ समझ लिया।


दयालुता की कोई उम्र नहीं

पंजाब धीरे-धीरे फिर से खड़ा हो रहा है, अपने आंसू पोंछ रहा है और अपने घर बना रहा है। लेकिन मोक्ष और श्रीनिका जैसी आत्माओं का समर्थन ही सच में घावों को भरता है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि दयालुता की कोई उम्र नहीं होती और करुणा को किसी अनुभव की आवश्यकता नहीं होती। कभी-कभी सबसे छोटे हाथों के पास सबसे बड़े दिल होते हैं।


पंजाब को फिर से खड़ा करना

पंजाब के लोगों को अभी हमारी सबसे ज्यादा जरूरत है। वे बर्बादी से अपनी जिंदगी वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगर दो छोटी बच्चियां अपनी कमाई दान कर सकती हैं, तो हमें अपना हाथ बढ़ाने से क्या रोक रहा है?


मोक्ष और श्रीनिका ने एक मिसाल कायम की है जो पीढ़ियों तक गूंजेगी। उन्होंने दिखाया है कि असली ताकत इस बात में नहीं है कि आप क्या रखते हैं, बल्कि इस बात में है कि आप क्या देते हैं। जैसे-जैसे पंजाब मिशन चढ़दीकला के तहत बाढ़ से उबर रहा है, इन दो छोटी मशालधारियों को रास्ता दिखाने दें। उनकी दयालुता हमारी उदासीनता को हिम्मत दे रही है।