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पंजाब में बाढ़ नियंत्रण के लिए सरकार की नई पहल

पंजाब में हाल की बाढ़ के बाद, सरकार ने नदियों की सफाई के लिए नई योजनाएँ बनाई हैं। खनन विभाग ने रावी और सतलुज नदियों से गाद हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। उच्च न्यायालय ने डिसिल्टिंग की अनुमति दी है, जिससे बाढ़ की समस्या को नियंत्रित किया जा सके। जानें इस प्रक्रिया के महत्व और इसके पीछे के कारणों के बारे में।
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पंजाब में बाढ़ नियंत्रण के लिए सरकार की नई पहल

पंजाब बाढ़ नियंत्रण


पंजाब बाढ़ नियंत्रण: इस वर्ष पंजाब में आई भयंकर बाढ़ के बाद, राज्य सरकार ने ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए त्वरित कदम उठाने का निर्णय लिया है। विभिन्न विभागों ने कार्य शुरू कर दिया है, विशेषकर उन विभागों ने जिनके पास अगले मानसून से पहले सीमित समय है। खनन विभाग ने रावी और सतलुज नदियों से गाद हटाने की योजना बनाई है।


बारिश और पहाड़ों से बहकर आने वाले पानी के कारण समय के साथ नदियों में गाद जमा हो जाती है, जिससे नदी का तल संकुचित हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि नदी अधिक पानी नहीं ले पाती और उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। जब भारी बारिश होती है, तो पानी ओवरफ्लो हो जाता है, जिससे बाढ़ आती है, जैसा कि हाल ही में पंजाब में देखा गया।


नदी तल की सफाई

इसलिए, नदी तल की सफाई अब प्राथमिकता बन गई है। राज्य इसे 'डिसिल्टिंग' प्रक्रिया के माध्यम से करने की योजना बना रहा है, जिसमें भारी मशीनें नदियों के तल से अतिरिक्त मिट्टी और रेत को हटाकर जल प्रवाह को बढ़ाएंगी।


न्यायालय का निर्णय

इससे पहले, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अवैध खनन की आशंका के चलते डिसिल्टिंग पर रोक लगा दी थी। इन नियमों के कारण, राज्य नदियों की उचित सफाई नहीं कर पा रहा था। लेकिन बाढ़ के संकट को देखते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने अंततः डिसिल्टिंग की अनुमति दे दी, बशर्ते काम उचित नियमों का पालन करे।


मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी ने कार्य प्रारंभ करने की अनुमति दी, और महाधिवक्ता ने चेतावनी दी कि यदि अभी डिसिल्टिंग नहीं की गई, तो अगले वर्ष स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।


सरकार की वर्तमान गतिविधियाँ

खनन विभाग ने रावी और सतलुज नदियों के किनारे 87 स्थानों की पहचान कर ली है। मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा द्वारा बुलाई गई एक उच्च-स्तरीय बैठक में इन स्थानों को अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार निजी ठेकेदारों को काम शुरू करने के लिए निविदाएँ जारी करने की तैयारी कर रही है। अभी तक, ब्यास नदी के किनारे कोई स्थान तय नहीं हुआ है, क्योंकि इसे वन क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसके लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।


पहले ऐसा क्यों नहीं हुआ?

इसका एक मुख्य कारण अवैध खनन है। इसी वजह से, एनजीटी, उच्च न्यायालय और कभी-कभी सर्वोच्च न्यायालय जैसी अदालतों को भी दुरुपयोग रोकने के लिए गाद निकालने की परियोजनाओं पर रोक लगानी पड़ी है।


लेकिन मानसून के मौसम में, नदियां भारी मात्रा में पानी और गाद लेकर आती हैं। पानी तो बह जाता है, लेकिन गाद वहीं रह जाती है, जिससे नदी का प्राकृतिक मार्ग धीरे-धीरे अवरुद्ध हो जाता है। यदि इसे साफ नहीं किया जाता है, तो यह अतिप्रवाह और बाढ़ का कारण बनती है।


यह क्यों महत्वपूर्ण है: जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल मानसून की बारिश भारी होती जा रही है, इसलिए नदियों का उचित रखरखाव बेहद जरूरी है। पंजाब का यह कदम अगले साल लोगों की जान, घर और फसल बचा सकता है।