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आरजी कर मामला : सीबीआई पूरक आरोपपत्र में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर दे रही जोर

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आरजी कर मामला : सीबीआई पूरक आरोपपत्र में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर दे रही जोर


कोलकाता, 26 फरवरी (हि. स.)। आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में साक्ष्यों से छेड़छाड़ और उन्हें नष्ट करने के आरोपों की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को आधार बनाकर मजबूत मामला तैयार करने में जुटी है। इस मामले में जल्द ही कोलकाता की एक विशेष अदालत में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा।

सीबीआई के वकील ने 24 फरवरी को विशेष अदालत को सूचित किया कि इस मामले की जांच जारी है और पूरक आरोपपत्र जल्द ही दाखिल किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि इसी अदालत ने हाल ही में इस जघन्य अपराध में शामिल एकमात्र दोषी और नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण सबूत टाला थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी अभिजीत मंडल का मोबाइल सिम कार्ड है। यही कारण है कि 24 फरवरी को सीबीआई के वकील ने मंडल द्वारा अपने मोबाइल सिम को वापस लेने की याचिका का विरोध किया था।

एक सीबीआई अधिकारी ने पुष्टि की कि जांच अधिकारियों को ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं, जिनसे यह साबित होता है कि पहले इस मामले को आत्महत्या का मामला साबित करने की कोशिश की गई और बाद में साक्ष्यों को नष्ट करने का प्रयास किया गया। सीबीआई इन परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पूरक आरोपपत्र दाखिल करने की तैयारी कर रही है।

परिस्थिजन्य साक्ष्य वे अप्रत्यक्ष साक्ष्य होते हैं, जिनके आधार पर तार्किक निष्कर्ष निकाले जाते हैं और आमतौर पर आपराधिक और दीवानी मामलों में इनका इस्तेमाल किया जाता है।

इसके साथ ही, सीबीआई पहले ही इस मामले की जांच से जुड़ी एक स्थिति रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत कर चुकी है। सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट के कुछ अहम हिस्सों को भी पूरक आरोपपत्र में शामिल किया जाएगा।

संभावना है कि सीबीआई 17 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली अगली सुनवाई से पहले विशेष अदालत में पूरक आरोपपत्र दाखिल कर देगी।

गौरतलब है कि सीबीआई ने इस मामले में अभिजीत मंडल और आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व विवादित प्रिंसिपल संदीप घोष को साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करने और उन्हें बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि, सीबीआई 90 दिनों के भीतर उनके खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही, जिसके चलते अदालत ने दोनों को 'डिफॉल्ट जमानत' दे दी।

मंडल फिलहाल जमानत पर बाहर है, जबकि घोष अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं, क्योंकि आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सीबीआई उनके खिलाफ समानांतर जांच कर रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर